• October 5, 2023

पढ़ें- 14 महीने में दिल्ली की शराब नीति मामले में अब तक क्या-क्या हुआ

पढ़ें- 14 महीने में दिल्ली की शराब नीति मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
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Delhi Liquor Policy Case: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की बुधवार (4 अक्टूबर) को गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की नई शराब नीति एक बार फिर चर्चाओं में है. कल संजय सिंह के आवास पर छापेमारी हुई और फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. शराब नीति में गड़बड़ी के आरोपों की जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर कर रहे हैं. संजय सिंह से पहले फरवरी में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई थी. 

सीबीआई की पहली चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम सामने आया था. फिलहाल उनकी जमानत का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. उधर, संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद शराब नीति को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है. नवबंर, 2021 में शराब नीति लागू हुई और कुछ महीनों बाद ही वापस भी ले ली गई. पिछले साल की 22 जुलाई को मामले की जांच शरू होने से अब तक कब-कब, क्या-क्या हुआ उस पर एक नजर डाल लेते हैं-

ऐसे शुरू हुई जांच
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. इसके बाद गड़बड़ियों की शिकायत आई और जांच शुरू हुई. 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें नीति को लेकर कई खुलासे किए गए थे. रिपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर कई गंभार आरोप लगाए गए थे. रिपोर्ट के आधार पर एलजी सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और 17 अगस्त, 2022 को केस दर्ज किया गया. इसमें मनीष सिसोदिया और तीन पूर्व सरकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया. इस मामले में पैसों की हेराफेरी भी हुई थी इसलिए ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया.

रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर लगाए गए गंभीर आरोप

  • मनीष सिसोदिया शिक्षा विभाग के साथ दिल्ली का वित्त मंत्रालय भी देख रहे थे इसलिए सबसे पहले वही घेरे में आए. मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. उन पर गलत तरीके से नीति तैयार करने, बड़े कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने और एलजी एवं कैबनिट की मंजूरी लिए बिना ही नीति में अहम बदलाव करने जैसे संगीन आरोप लगे थे. 
  • अधिकारियों का कहना है कि अगर नीति लागू होने के बाद उसमें कोई बदलाव किए जाते हैं तो पहले कैबिनेट के साथ उस पर चर्चा होती है और फिर फाइनल अप्रूवल के लिए इसे एलजी को भेजा जाता है. कैबिनेट और एलजी की जानकारी के बिना कोई भी बदलाव करना गैरकानूनी की श्रेणी में आता है, जो दिल्ली आयकर नियम, 2010 और व्यवसायिक नियमों का लेन-देन, 1993 का उल्लंघन है. रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना का बहाना बनाकर 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई. 
  • रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सिसोदिया के निर्देश पर विदेशी शराब के दाम में बदलाव करके शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया और बीयर पर लगने वाली 50 रुपये प्रति केस की राशि को भी हटा दिया, जिससे कारोबारियों को लाभ हुआ. रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह के बदलाव करके आप सरकार ने शराब कारोबारियों को तो फायदा पहुंचाया, लेकिन रेवेन्यू से मिलने वाली रकम में कमी के कारण राज्य के सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, शराब की बिक्री में बढ़ोतरी के बावजूद रेवेन्यू में 37.51 फीसद की कमी आई.
  • मनीष सिसोदिया पर यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने एयोरपोर्ट जोन में लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिया, जो जब्त होने थे. शराब कारोबारी एयरपोर्ट अथॉरिटी से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था. ऐसे में उसने जो पैसा जमा किया था वह सरकारी खजाने में जाना था, लेकिन सरकार ने उसको वह पैसा वापस लौटा दिया.
  • आप सरकार पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से लाइसेंस धारकों का ऑपरेशनल कार्यकाल पहले 1 अप्रैल, 2022 से बढ़ाकर 31 मई, 2022 तक किया गया और फिर इसे जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई, 2022 तक कर दिया गया, जिसके लिए न तो केंद्र सरकार और न ही उपराज्यपाल से मंजूरी ली गई.

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