- October 18, 2023
सात साल का निर्वासन, पाकिस्तान लौटीं तो मौत कर रही थी इंतजार, जानें बेनजीर भुट्टो के कुछ किस्से
Benazir Bhutto Death: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ आगामी 21 अक्टूबर को लंदन से अपने वतन लौटेंगे. रोचक बात ये है कि 2007 में पाकिस्तान की पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो भी अक्टूबर में ही सात साल निर्वासन के बाद पाकिस्तान लौटी थीं, वो तारीख थी 18 अक्टूबर.
आज के समय में महिलाओं का राजनीति में आना कोई बड़ी बात नहीं है. उस पर भी किसी इस्लामिक देश में महिला पीएम बनना कोई छोटी बात नहीं है. बेनजीर भुट्टो पहली महिला थीं, जो किसी इस्लामिक देश की पीएम बनीं.
1988 में बेनजीर भुट्टो केवल 35 साल की उम्र में ही पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं. इस दौरान उन्हें पाकिस्तान से निर्वासन भी झेलना पड़ा. जब वे वापस आईं तो उन्हें नहीं पता था कि पाकिस्तान में मौत उनका इंतजार कर रही है.
पिता को दी गई फांसी
बेनजीर भुट्टो का जन्म 21 जून 1953 को पाकिस्तान के पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के घर हुआ था. पाकिस्तान में हुई शुरुआती पढ़ाई के बाद बेनजीर को अमेरिका भेज दिया गया. इसी दौरान 1977 को उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तानी आर्मी के चीफ जिया-उल-हक ने तख्तापलट कर गिरफ्तार करवा दिया. इसके बाद हत्या के एक मामले में उन्हें फांसी दे दी गई.
हार्वर्ड-ऑक्सफोर्ड में रंगीन पार्टियां
अमेरिका की हार्वर्ड और ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान बेनजीर भुट्टो की पार्टियां करते हुए कई तस्वीरें अखबारों में छपती रहीं. रोशन मिर्जा ने अपनी किताब ‘Indecent Correspondence: Secret Sex Life of Benazir Bhutto’ में उनके कई मर्दों के साथ संबंधों का दावा किया था.
बनीं पाकिस्तान की पहली महिला पीएम
1988 में बेनजीर भुट्टो की पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की और वो पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि, दो साल में ही उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. 1993 में फिर उनकी पार्टी ने जीत हासिल की और बेनजीर दोबारा पीएम बनीं. इस बार भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते बेनजीर को पीएम पद छोड़ना पड़ा. उन्हें जेल में डाल दिया गया. जब वो जेल से बाहर निकलीं तो उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा.
पाकिस्तान में मौत कर रही थी इंतजार
18 अक्टूबर 2007 को बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान वापस लौटीं. वो पाकिस्तान में फिर से अपनी सरकार बनाना चाहती थीं. बेनजीर चुनाव प्रचार में जुट गईं. 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी की एक चुनावी रैली के बाद लौट रहीं बेनजीर भुट्टो को एक आत्मघाती हमले में मौत के घाट उतार दिया गया.इस हत्याकांड में किसी को भी सजा नहीं मिल सकी.
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