- November 13, 2025
चीन ने उड़ाया ‘रहस्यमई ड्रैगन’ GJ-11! दुनिया के लिए ओपन चैलेंज, भारत के लिए है खतरा?
चीन ने अपने नए और अत्याधुनिक स्टील्थ ड्रोन GJ-11 का ताजा वीडियो जारी कर ग्लोबल लेवल पर हलचल मचा दी है. यह वीडियो चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) की तरफ से शेयर किया गया है, जिसमें यह चीन के J-20 स्टील्थ फाइटर और J-16D इलेक्ट्रॉनिक अटैक जेट के साथ उड़ता नजर आ रहा है. रक्षा विशेषज्ञ इसे चीन की नई सैन्य नीति का गेम-चेंजर कदम मान रहे हैं.
चीन के GJ-11 को रहस्यमई ड्रैगन या फैंटेसी ड्रैगन कहा जाता है. ये एक एडवांस Unmanned Combat Aerial Vehicle (UCAV) है. यह दुश्मन के इलाके में घुसकर गुप्त मिशन चलाने, जासूसी करने और सटीक हमले करने में सक्षम है. इस ड्रोन की उड़ान यह दिखाती है कि चीन अब पारंपरिक लड़ाकू विमानों से आगे बढ़कर मानवरहित स्टील्थ स्क्वाड्रन बनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है.
Official designation of the GJ-11 by the PLAAF ——玄龙(Fantasy Dragon) pic.twitter.com/R7LkehkMHN
— 冬夜雪域冰莲炎 (@SnowLotusFlame) November 11, 2025
डिजाइन और क्षमताएं
GJ-11 का आकार चमगादड़ जैसा है. इसके डिजाइन में रडार से बचने की तकनीक, हाई-स्पीड उड़ान और लॉन्ग-रेंज अटैक सिस्टम शामिल हैं. रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस ड्रोन की क्षमता अमेरिका के F-35 जेट से भी अधिक एडवांस है. इसकी विशेषता यह है कि यह न केवल हमले कर सकता है बल्कि इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी बड़ी भूमिका निभा सकता है.
J-20 और मशीन–मानव ऑपरेशन का नया प्रयोग
चीन की नई सैन्य रणनीति के तहत J-20 फाइटर जेट और GJ-11 ड्रोन मिलकर मिशन पर काम करेंगे. J-20 का दो सीटों वाला वर्जन इन ड्रोन को रिमोटली कंट्रोल करेगा, जिससे इंसान और मशीन के बीच तालमेल बनाएगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह वीडियो इस ड्रोन के ऑपरेशनल सर्विस में आने का संकेत है.
भारत की सीमा के पास सक्रिय GJ-11
अमेरिकी रक्षा विश्लेषण वेबसाइट द वॉर जोन के अनुसार, चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित शिगात्से एयरबेस पर तीन GJ-11 ड्रोन देखे गए हैं. यह बेस भारत-चीन सीमा से कुछ ही दूरी पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इन ड्रोन का उपयोग सीमावर्ती निगरानी और संभावित हवाई अभियानों की तैयारी के लिए कर रहा है. यह भारत के लिए सुरक्षा दृष्टि से एक नया खतरा बन सकता है.
2013 से अब तक GJ-11 का सफर
GJ-11 का पहला प्रोटोटाइप वर्ष 2013 में बनाया गया था. छह साल बाद 2019 की बीजिंग सैन्य परेड में इसका अत्याधुनिक मॉडल पेश किया गया. नए वर्जन में ऐसा रियर डिजाइन और एग्जॉस्ट सिस्टम है. ये रडार सिग्नल को पूरी तरह छिपा देता है, जिससे यह ड्रोन दुश्मन की निगाहों से लगभग अदृश्य हो जाता है.
नौसेना संस्करण की तैयारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन अब GJ-11 का नौसेना संस्करण तैयार कर रहा है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने में सक्षम होगा. अगर ऐसा होता है तो चीन की नौसैनिक ताकत में कई गुना वृद्धि हो सकती है और यह ड्रोन समुद्री सीमाओं पर निगरानी व हमले दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा.
अमेरिका की प्रतिक्रिया और मुकाबला रणनीति
अमेरिका अपने नेक्स्ट-जेनरेशन स्टील्थ ड्रोन प्रोजेक्ट्स को गुप्त रखता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि GJ-11 की क्षमताओं ने अमेरिकी रक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. अमेरिका भी अब समान श्रेणी के हाई-टेक UCAV सिस्टम पर काम तेज कर रहा है ताकि भविष्य के हवाई युद्ध में संतुलन बनाए रखा जा सके.
ये भी पढ़ें: तालिबान ने पाकिस्तान को दिया करारा झटका, हमले की धमकियों के बीच जानें क्या लिया एक्शन