- November 14, 2025
बांग्लादेश में बड़ा सियासी खेल? शेख हसीना के 4 बड़े U-Turn ने बढ़ाई हलचल
बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अचानक एक नए राजनीतिक तेवर के साथ सामने आई हैं. उनके ताज़ा इंटरव्यू में दिए गए बयान न सिर्फ ढाका की राजनीति को, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को चौंका रहे हैं. अगस्त 2024 में सत्ता से हटने के बाद हसीना जहां लगातार अमेरिका और पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराती रही थीं, अब वो बेहद नपा-तुला और संयमित रुख अपना रही है.
अगस्त 2024 में शासन बदलने के तुरंत बाद हसीना ने दावा किया था कि उनकी सरकार अमेरिकी दखल के कारण गिरी. उनके कई मंत्रियों तक ने कहा था कि वाशिंगटन ने राजनीतिक अस्थिरता का रास्ता तैयार किया, लेकिन अब हसीना बिल्कुल अलग लहजे में बात कर रही हैं. हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वे किसी एक देश को दोषी नहीं मानतीं. उनके अनुसार, उन्हें गलत सूचनाएं देकर राजनीतिक हालात बिगाड़े गए और इस पूरी कहानी में मोहम्मद यूनुस की भूमिका ज्यादा अहम रही. यह उनके पुराने बयानों से बिल्कुल उलटा रुख है.
मोहम्मद यूनुस पर आरोपों से नरम हुईं हसीना
कभी यूनुस को अमेरिका का हथियार बताने वाली हसीना अब कहीं अधिक संतुलित बयान दे रही हैं. उन्होंने कहा कि यूनुस को केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि पश्चिमी देशों का एक बड़ा नेटवर्क समर्थन देता है. साथ ही, वे यह भी कहती नजर आईं कि उन्हें अमेरिका से कोई व्यक्तिगत शिकायत नहीं है. उनका यह रुख संकेत देता है कि वे वाशिंगटन से रिश्ते सुधारने की तैयारी में हैं.
पाकिस्तान को लेकर भी बदली भाषा
हसीना ने तख्तापलट के बाद पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कड़े बयान दिए थे, लेकिन अब वे बहुत सीमित टिप्पणी कर रही हैं और कह रही हैं कि ढाका-इस्लामाबाद के बीच राजनयिक संबंधों में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. उनका यह नरम स्वर दक्षिण एशियाई भू-राजनीति के लिहाज से बड़ा संकेत माना जा रहा है.
सेंट मार्टिन द्वीप पर विवाद से पीछे हटने के संकेत
लंबे समय से हसीना यह दावा करती रही थीं कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप पर अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है. कई बार उन्होंने कहा था कि इस दबाव का विरोध करने के कारण ही उनकी सरकार को कमजोर किया गया, लेकिन अब अपने इंटरव्यू में उन्होंने इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साध ली है. उनके शब्दों में कुछ बातें बंद दरवाज़ों के पीछे हुई थीं, जिन पर अभी चर्चा का सही समय नहीं है.
आखिर इतने बड़े राजनीतिक बदलाव क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि हसीना के इन बड़े बदलावों के पीछे गहरी रणनीति है.बांग्लादेश में फरवरी 2026 में आम चुनाव होने हैं और हसीना धीरे-धीरे अपने राजनीतिक समीकरण नए सिरे से साध रही हैं. इसके अलावा उनके समर्थक मौजूदा सरकार और यूनुस के खिलाफ खुलकर विरोध कर रहे हैं, जिससे देश की सत्ता व्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. दूसरी ओर, बीएनपी और जमात के रास्ते अलग होने से विपक्ष की स्थिति भी बिखरी हुई है, जिससे राजनीतिक तस्वीर और जटिल हो गई है.
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