• May 7, 2024

10 हजार की घूस से 37 करोड़ के नोटों के अंबार तक रांची कैशकांड की पूरी कहानी…

10 हजार की घूस से 37 करोड़ के नोटों के अंबार तक रांची कैशकांड की पूरी कहानी…
Share


<p class="abp-article-title" style="text-align: justify;"><strong>ED Raid:</strong> झारखंड की एन्टी करप्शन ब्रांच ने 14 नवंबर 2019 को झारखंड के ग्रामीण विभाग के एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को 10 हज़ार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था. ये रिश्वत विकास शर्मा नाम के एक ठेकेदार से ली जा रही थी. ठेकेदार विकास शर्मा ने इसकी शिकायत झारखंड के एंटी करप्शन ब्रांच में की थी. विकास शर्मा ने एन्टी करप्शन ब्रांच को बताया था कि एक टेंडर का एक बिल पास करने की एवज में सुरेश प्रसाद वर्मा 28 हज़ार की रिश्वत मांग रहा है. रिश्वत की पहली किश्त 10 हज़ार रुपए मांगी गई थी.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">इसके बाद 15 नवंबर 2019 को एन्टी करप्शन ब्रांच ने सुरेश प्रसाद वर्मा के घर की पहली मंजिल पर छापा मारा इस मंजिल पर आलोक रंजन नाम का एक शख्स किराए पर रहता था. छापेमारी की दौरान एंटी करप्शन ब्रांच ने 2.67 करोड रुपए भी बरामद किए. जब आलोक रंजन से पूछताछ की गई तो वो पैसों के बारे में कोई जवाब नहीं दे पाया लिहाजा उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>दोनों को रिमांड पर लेकर ACB ने की थी पूछताछ</strong></p>
<p style="text-align: justify;">एंटी करप्शन ब्रांच ने जांच को आगे बढ़ाया. दोनों को रिमांड पर लिया गया और पूछताछ की गई. पूछताछ में आरोपी जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि आलोक रंजन ग्रामीण विभाग में तैनात चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम का चचेरा भाई है और चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम और उनकी पत्नी अक्सर आलोक रंजन से मिलने घर पर आते थे और बरामद रकम 2.67 करोड़ का मालिक चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ACB की जांच के आधार पर ED ने जांच की शुरू</strong></p>
<p style="text-align: justify;">क्योंकि ये मामला मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा था इसलिए इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हुई. झारखंड एंटी करप्शन ब्रांच की एफआईआर को आधार बनाकर ईडी ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू की, जिसके बाद चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम को गिरफ्तार कर लिया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ED की पूछताछ में हुए कई खुलासे</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पूछताछ के दौरान चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने बताया था कि वो किसी भी ठेकेदार को टेंडर देने के लिए कमीशन के नाम पर रिश्वत लेता था. वीरेंद्र कुमार राम ने ये भी खुलासा किया था कि रिश्वत का पैसा सरकारी अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचाया जाता था. जब ईडी ने इस मामले में चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम और उसके परिवार के बैंक खातों की जांच की तो उसमें करोड़ों रुपए पाए गए.</p>
<p style="text-align: justify;">जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी वीरेंद्र कुमार राम ने अपने पिता गेंदा राम, पत्नी राजकुमारी और परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चल और अचल संपत्ति जमा की. ये सारी संपत्ति रिश्वत के पैसों से बनाई गई थी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>चार्टेड अकाउंटेंट के खातों से रकम की गई थी जमा- ED</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जांच में ये भी पता चला कि वीरेंद्र कुमार राम और उनकी पत्नी के जॉइंट अकाउंट में 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 9.30 करोड़ जमा हुए. इतना ही नहीं जांच में ये भी सामने आया कि आरोपी वीरेंद्र कुमार राम के पिता के बैंक खाते में 21/12/22 से 23/01/23 यानी 31-32 दिनों में 4.5 करोड़ रुपए जमा हुए. ये रकम मुकेश और मोहित मित्तल नाम के चार्टेड अकाउंटेंट के खातों से जमा की गई.</p>
<p style="text-align: justify;">जब ईडी ने चार्टेड एकाउंटेंट मुकेश मित्तल से पूछताछ की तो उसने बताया कि आरोपी चीफ इंजीनियर ने उसे 5 करोड़ रुपए कैश दिए थे. उन पैसों का इस्तेमाल उनके पिता गेंदा राम के नाम पर दिल्ली के पॉश इलाके में संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था. इसलिए वो रकम आरोपी के पिता के खाते में जमा करवाई गई थी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रेड के दौरान ED को रिश्वत से जुड़े कई कागजात मिले</strong></p>
<p style="text-align: justify;">तलाशी के दौरान ईडी को आरोपी वीरेंद्र कुमार राम के घर से ग्रामीण विभाग में टेंडर देने के बदले रिश्वत से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले थे. जांच में सामने आया था कि आरोपी चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कुमार राम ने टेंडर देने में और निजी संस्थाओं को काम देने में एक भूमिका निभाई और रिश्वत का कमीशन ऊंचे पदों पर बैठे नौकरशाहों और राजनेताओं सहित सरकार के बड़े अधिकारियों पहुंचाया. इसके साथ ही ईडी की जांच में कई बड़े नौकरशाहों और राजनेताओं का नाम सामने आया था जिसकी जांच ईडी लगातार कर रही थी.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong class="ewk8wmc0 bbc-1jmbl5u eglt09e1">रांची में कई जगहों पर ईडी की छापेमारी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">इसी जांच को आगे बढ़ाते हुए ईडी ने सोमवार को रांची में 6 ठिकानों पर रेड की. ये रेड झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर समेत 6 जगहों पर हुई. इस रेड के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर से 32.20 करोड़, एक अन्य करीबी के ठिकाने से 2.93 करोड़ और संजीव लाल के ठिकाने से 10.5 लाख रुपये बरामद किए. दोनों को गिरफ्तार भी किया गया.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">निजी सचिव संजीव लाल और नौकर जहांगीर को अदालत में पेश किया गया. जहां ईडी ने दोनों की 10 दिन की रिमांड की मांग की और कोर्ट ने दोनों की 6 दिन की रिमांड दी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अधिकारियों और राजनेताओं के बीच बराबर से बांटा जाता था पैसा- ED</strong></p>
<p style="text-align: justify;">ईडी ने अदालत को बताया कि टेंडर से आया ये कमीशन संजीव लाल इक्कठा करता था और वीरेंद्र कुमार राम ने पूछताछ के दौरान ये कबूल भी किया था कि संजीव लाल को उनके द्वारा जारी टेंडर की एवज में सितंबर 2022 तक करोड़ो रूपये की मोटी रकम मिली है. ईडी ने कोर्ट&nbsp;को बताया कि रिश्वत का ये पैसा विभाग के तमाम अधिकारियों और राजनेताओं के बीच बराबर बांटा जाता था.</p>
<p style="text-align: justify;">इतना ही नहीं ईडी ने अदालत को ये भी बताया कि कमीशन का पैसा सरकारी अधिकारियों तक भी पहुंचाया जाता है. इसके अलावा ईडी ने बताया कि जांच के दौरान कई नौकरशाहों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं. &nbsp;जिनकी जांच की जा रही है. ईडी ने ये भी बताया कि ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर से नीचे तक के कई अधिकारी इस गठजोड़ में शामिल हैं और टेंडर के जरिए रिश्वत लेने का खेल चल रहा था. इस मामले हमें कुछ ब्यूरोक्रेट और सफेदपोश के बारे में पता चला है जिसकी जांच करनी है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>प्रभावशाली लोगों से इकट्ठा किया था ये पैसा- ED</strong></p>
<p style="text-align: justify;">ईडी ने अदालत को बताया कि आरोपी जहांगीर आलम के घर से जो पैसे मिले है वो संजीव लाल के कहने पर रखे थे. जिसे उसने कुछ प्रभावशाली लोगों की और से इकट्ठा किया था. जांच के दौरान ये बात सामने आई है कि दूसरे असिस्टेंट इंजीनियर भी टेंडर से मिलने वाले कलेक्शन और उसके डिस्ट्रीब्यूशन में शामिल थे.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या ED का शिकंजा ग्रामीण विकास मंत्री पर कसेगा!</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अब इस मामले में सबसे बड़ा सवाल ये है कि ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को क्या इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. निजी सचिव रिश्वत का इतना बड़ा खेल कर रहा था और उन्हें भनक तक नहीं थी. क्या प्रवर्तन निदेशालय का शिकंजा अब ग्रामीण विकास मंत्री पर कसने वाला है. ये वो तमाम सवाल है जिनके जवाब ईडी तलाश रही है.</p>


Source


Share

Related post

“No Direct Involvement…”: Hemant Soren Gets Bail In Land Scam Case

“No Direct Involvement…”: Hemant Soren Gets Bail In…

Share Jharkhand CM Hemant Soren: JMM leader Hemant Soren leaves jail after bail from High Court Ranchi: Ex-Jharkhand…
HC grants bail to former Jharkhand CM Hemant Soren in land scam case | India News – Times of India

HC grants bail to former Jharkhand CM Hemant…

Share NEW DELHI: Jharkhand high court on Friday granted bail to chief minister Hemant Soren in land scam…
‘Kejriwal not given cooler in jail’: AAP claims ‘weighing machine’ conspiracy, Tihar official replies | India News – Times of India

‘Kejriwal not given cooler in jail’: AAP claims…

Share NEW DELHI: A day after Delhi chief minister Arvind Kejriwal surrendered at Tihar jail as as his…