• October 18, 2025

Rare Earth: भारत और रूस मिलकर बदलेंगे रेयर अर्थ का गेम, चीन की बढ़ गई टेंशन

Rare Earth: भारत और रूस मिलकर बदलेंगे रेयर अर्थ का गेम, चीन की बढ़ गई टेंशन
Share


India Russia Rare Earth Partnership: भारत और पड़ोसी देश चीन के बीच एक और नया विवाद खड़ा होता दिख रहा है. चीन ने रेयर अर्थ मेंटल्स और परमानेंट मैग्रेट की सप्लाई पर और अधिक नियंत्रण लगा दी है. भारत अपनी जरूरतों का लगभग 65 प्रतिशत रेयर अर्थ मेटल चीन से आयात करता हैं. ऐसी स्थिति में भारत की निर्भरता चीन पर बहुत अधिक हैं. इसी बीच एक सकारात्मक खबर सामने आई है. भारतीय कंपनियों ने इस समस्या के समाधान के लिए रूस में संभावनाएं तलाशना शुरू कर दिया है.

ईटी के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस के बीच इसको लेकर शुरुआती चरण की बातचीत चल रही है. केन्द्र सरकार आत्मनिर्भरता को ओर तेजी से कदम बढ़ाना चाहती हैं. यहीं कारण है कि, विदेशी आयातों के दूसरे विकल्प खोजे जा रहे है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने लगभग 2270 टन रेयर अर्थ मेटल विदेशों से आयात किया था. 

कौन सी कंपनी करेगी रूस से बात?

केंद्र सरकार की ओर से रूस से बातचीत के लिए Lohum और Midwest कंपनी को चुना गया है. दोनों कंपनियां रूस के खनिज संबंधी कंपनियों के साथ मिलकर भारत के लिए नई संभावनाएं तलाशने का काम करेंगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR), इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स (धनबाद) और इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल्स एंड मटेरियल्स टेक्नोलॉजी (भुवनेश्वर) को रूस की कंपनियों की तकनीकों का समझने और पूरे प्रोसेसिंग की जानकारी इकट्ठी करने का निर्देश दिया गया है. रूस की ओर से इस साझेदारी के लिए Nornickel और Rosatom कंपनियों को मौका मिल सकता है. दोनों ही रूस की सरकारी कंपनियां है. 

भारत और रूस बन सकते है नए खिलाड़ी

चीन के पास इस वक्त पूरे वैश्विक मार्केट का लगभग 90 प्रतिशत रेयर अर्थ प्रोसेसिंग का नियंत्रण है. यानि कि, लगभग पूरे विश्व में चीन ही रेयर अर्थ निर्यात करता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने पिछले कुछ सालों में रेयर अर्थ प्रोसेसिंग की तकनीकों पर बहुत काम किया है. रूस की आगे की योजना है कि, वह भारत के साथ मिलकर इन तकनीकों को व्यावसायिक रुप दे सके. अगर ये संभव हो पाया तो भारत और रूस रेयर अर्थ प्रोसेसिंग की दुनिया में दो नए नाम होंगे. जिससे चीन पर निर्भरता तो कम होगी है, साथ ही निर्यात के भी नए अवसर खुलेंगे.  

कुछ दिनों पहले, भारत सरकार की ओर से रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) प्रोडक्शन के लिए 7,350 करोड़ रुपए की नई योजना शुरु करने पर भी बातचीत हुई है. जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में रेयर अर्थ के प्रोडक्शन को बढ़ाना और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करना है. 

यह भी पढ़ें: दिवाली पर 4 दिन बंद रहेगा शेयर बाजार, जानें छुट्टी और मुहूर्त ट्रेडिंग का समय

 



Source


Share

Related post

Big worry! China’s grip over rare earth magnets sends Indian auto industry into a spin; delegation of industry people eye China visit – Times of India

Big worry! China’s grip over rare earth magnets…

Share The Indian automobile industry faces potential production challenges. (AI image) China’s hold on rare earth magnets has…