- October 5, 2024
पलक झपकते ही तबाह होंगे दुश्मन के रॉकेट-मिसाइल, भारत ने इस खतनारक हथियार का किया परीक्षण
Indian Army: भारत ने राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में चौथी पीढ़ी की एडवांस टेक्नोलॉजी से बने छोटे आकार की बहुत ही कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (VSHORADS) के तीन सफल परीक्षण किये.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यह परीक्षण तीन और चार अक्टूबर को तेज गति वाले लक्ष्यों पर किए गए, जिसमें निकट आना, पीछे हटना और क्रॉसिंग मोड शामिल हैं. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सफल परीक्षणों ने सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप “कम समय में परीक्षण और कम समय में उत्पादन” का राह दिखाया है.
चौथी पीढ़ी की मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस है VSHORADS
मंत्रालय ने कहा, “रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ)ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में चौथी पीढ़ी की टेक्नोलॉजी से लैस वीएसएचओआरएडीएस (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम) के तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किए.” बयान में कहा गया कि “वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों के विकास का काम पूरा हो चुका है और दो बनाने वाली एजेंसियों को डेवलपमेंट और प्रोड्यूसर पार्टनर (डीसीपीपी) मोड में जोड़ा गया है.”
रक्षामंत्री ने भारतीय सेना को दी बधाई
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना को मिसाइल प्रणाली के सफल परीक्षण के लिए बधाई दी है. उन्होंने कहा कि मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस यह नयी मिसाइल हवाई खतरों के खिलाफ सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से और कुशल बनाएगी.
In a series of trials against high speed aerial target Very Short Range Air Defence System(VSHORADS) has been successfully tested, demonstrating repeatability of hit to kill capability of weapon in various target engagement.@PMOIndia@DefenceMinIndia@SpokespersonMoD pic.twitter.com/k1IYaza15C
— DRDO (@DRDO_India) October 5, 2024
वीएसएचओआरएडीएस व्यक्ति द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में सक्षम वायु रक्षा प्रणाली है जिसे अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है. रक्षा मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया है कि मिसाइल में फीडबैक कंट्रोल सिस्टम (आरसीएस) और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स सहित कई नये टेक्नोलॉजी शामिल हैं और परीक्षणों के दौरान इसकी सटीक मारक क्षमता सिद्ध हो चुकी है.
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