• September 19, 2023

चुनाव से पहले बांटी गई ‘रेवड़ियों’ से क्या वोटर्स पर असर होता है? 

चुनाव से पहले बांटी गई ‘रेवड़ियों’ से क्या वोटर्स पर असर होता है? 
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भारत में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले यानी साल 2023 के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होंगे. हमारे देश में चुनाव की तारीख के नजदीक आते ही वोटरों को लुभाने के लिए वादों की बरसात शुरू हो जाती है. जिसके कारण एक नया शब्द ‘रेवड़ी कल्चर’ चर्चा में है. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद कई बार अपने भाषणों में इस रेवड़ी कल्चर का जिक्र कर चुके हैं और इसे कल्चर को देश के लिए नुकसानदायक परंपरा भी बता चुके हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर ये रेवड़ी कल्चर है क्या और इसका वोटरों पर क्या असर पड़ता है…

पहले जानते हैं किन राज्यों में मिल रही है मुफ्त वादों की सौगात

कर्नाटक: कर्नाटक में साल 2022 में विधानसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस के 5 गारंटी ने कर्नाटक में बीजेपी का गेम बिगाड़ दिया है. कांग्रेस की 5 गारंटी में महिलाओं को 2000 रुपए मासिक भत्ता, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, घरों में 200 यूनिट तक फ्री बिजली जैसे अहम घोषणाएं शामिल हैं. 

कर्नाटक चुनाव परिणाम के तुरंत बाद कांग्रेस ने मध्य प्रदेश और हरियाणा के लिए 500 रुपए में एलपीजी गैस सिलेंडर और फ्री बिजली देने का ऐलान किया. हरियाणा में तो कांग्रेस ने सरकार बनने पर मुफ्त में जमीन देने का भी वादा कर दिया है. 

राजस्थान: इस राज्य में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव से पहले राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार महिलाओं को बिजली और सस्ते सिलेंडर दे रही है. 

मध्य प्रदेश: कांग्रेस की तरह बीजेपी भी मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार लाडली बहना योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दे रही है. इसके अलावा सरकार की तरफ से 78 हजार छात्रों को लैपटॉप खरीदने के लिए मुफ्त राशि प्रदान की जा रही है.

मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र की तर्ज पर किसानों को हर साल 2000 रुपए देने का ऐलान किया है. वहीं चुनावी माहौल को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की सरकार बनने पर हर परिवार को 100 यूनिट तक फ्री बिजली देने का वादा किया है.

तेलंगाना: केसीआर सरकार ने भी इस राज्य की जनता से वादा किया है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.

छत्तीसगढ़: कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी की हैं. इसके अलावा कई अलग अलग स्कीमों में सभी सरकारें खूब मुफ्त की सौगात दे रही है. 

क्या है रेवड़ी कल्चर?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, ऐसी योजनाएं जिनके कारण क्रेडिट कल्चर कमजोर हो, सब्सिडी की वजह से कीमतें बिगड़े, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट में गिरावट आए और लेबर फोर्स भागीदारी कम हो तो वो फ्रीबीज होती हैं.

हालांकि भारत में फ्रीबीज यानी रेवड़ी कल्चर की कोई आधिकारिक परिभाषा तय नहीं है. यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट के पास है. सुप्रीम कोर्ट के समकक्ष अगस्त 2022 में चुनाव आयोग ने एक हलफनामा दाखिल किया था. आयोग के मुताबिक समय और काल के हिसाब से फ्रीबीज की परिभाषा बदल जाती है.

कहां से हुई शुरुआत 

फ्रीबीज यानी मुफ्त चुनावी वादों का प्रयोग सबसे पहले अमेरिका में साल 1920 में हुआ था. फ्रीबीज को ही रेवड़ी कल्चर कहते हैं. फ्रीबीज का मतलब होता है- कोई ऐसी चीज जो आपको मुफ्त में दी जाती है. 

वहीं भारत में इसकी शुरुआत साल 2006 में तमिलनाडु से मानी हुई थी. इस साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले थे. प्रचार के दौरान डीएमके ने सरकार बनने पर सभी परिवारों को मुफ्त कलर टीवी देने का वादा किया था.

पार्टी ने टीवी को देने के वादे के पीछे तर्क दिया कि हर घर में टीवी आती है तो महिलाएं साक्षर होंगी. उनके इसी वादे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. हालांकि डीएमके जीत गई और सरकार बनने पर अपने वादे को पूरा करने के लिए पार्टी ने 750 करोड़ रुपये का बजट लगाया जारी किया था. 

रेवड़ी कल्चर कैसे डाल रहा चुनाव पर असर 

चुनावी माहौल में जनता से किए गए मुफ्त वादे न सिर्फ चुनाव के परिणाम को प्रभावित करते हैं और बल्कि राजनीतिक दलों को सत्ता तक पहुंचाने में मददगार भी साबित होते हैं. पिछले कुछ सालों का डेटा देखें तो पाएंगे कि चुनाव के दौरान किए गए 5 घोषणाएं चुनाव में गेम चेंजर साबित हुईं है.

इनमें महिलाओं को मासिक भत्ता और मुफ्त बस यात्रा, फ्री बिजली स्कीम, मुफ्त अनाज योजना, किसान सम्मान निधि और मुफ्त एलपीजी गैस सिलेंडर प्रमुख हैं.

इन राज्यों में फ्रीबीज ने बिगाड़ी बीजेपी की खेल 

कर्नाटक: साल 2022 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तरफ से किए गए 5 वादों ने बीजेपी का गेम बिगाड़ दिया था.राज्य की 228 सीटों में से कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली, जबकि बीजेपी 116 से 65 पर सिमट गई. 

लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के मुताबिक इस चुनाव में बेरोजगारी और गरीबी के साथ ही रिश्वतखोरी का मुद्दा हावी रहा. कांग्रेस ने इन मुद्दों पर गौर करते हुए 5 गारंटी स्कीम की घोषणा कर दी. कांग्रेस ने इस 5 गारंटी को राहुल गांधी का वचन बताकर प्रचार किया. 

कांग्रेस की 5 गारंटी में महिलाओं को 2000 रुपए मासिक भत्ता, युवाओं को बेरोजगारी भत्ता, घरों में 200 यूनिट तक फ्री बिजली जैसे अहम घोषणाएं शामिल थी. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणापत्र में हर परिवार को 3 एलपीजी सिलेंडर, आधा लीटर दूध फ्री में देने जैसी मुफ्त घोषणाएं की. हालांकि, यह ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाया.

हिमाचल: हिमाचल में भी रेवड़ी स्कीम्स ने भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचाया. पार्टी अध्यक्ष के गृह-राज्य में ही बीजेपी बुरी तरह हार गई. हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम और 5 लाख सरकारी नौकरी बड़ा मुद्दा बना. सत्ता में आई कांग्रेस ने चुनाव से पहले महिलाओं को 1500 रुपए पेंशन देने की घोषणा की थी, जो कारगर साबित हुआ. हिमाचल में कांग्रेस ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की भी घोषणा की, जो गेम चेंजर का काम किया.

इन राज्यों में भी फ्रीबीज ने जीत-हार में निभाया अहम रोल

1. कर्नाटक-हिमाचल के अलावा भी रेवड़ी कल्चर ने कई चुनावों में जीत और हार तय करने में अहम भूमिका निभाई है. साल 2022 के उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कॉलेज जाने वाली लड़कियों को मुफ्त में स्कूटी और महिलाओं को साल में 2 गैस सिलेंडर देने का वादा किया था. चुनाव में जीत-हार तय करने में यह अहम कारक बना. 

2. साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान मुफ्त कोरोना वैक्सीन एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया और भारतीय जनता पार्टी ने सरकार में आने पर सबको मुफ्त में वैक्सीन लगवाने की घोषणा कर दी. मुफ्त वैक्सीन का यह मामला कोर्ट में भी गया, लेकिन कोर्ट ने घोषणा पर रोक से इनकार कर दिया. 

उस चुनाव में बीजेपी को इस वादे का काफी फायदा मिला और बीजेपी राज्य की दूसरी बड़ी पार्टी बन गई. उस वक्त जेडीयू के साथ सरकार बनाने में भी कामयाब हुई थी.

3. ठीक इसी तरह साल 2021 के बंगाल चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जमकर मुफ्त योजनाओं की घोषणा की थी. ममता ने एससी- एसटी वर्ग को सालाना 12 हजार रुपए और निम्‍न वर्ग के लोगों को 6 हजार रुपए देने की घोषणा की थी. इसके अलावा तृणमूल ने घर पर ही राशन पहुंचाने का ऐलान किया था. ममता बनर्जी ने फ्रीबीज के सहारे तीसरी बार सत्ता वापसी करने में कामयाब हुई. 

बिहार, यूपी और बंगाल के अलावा पंजाब चुनाव (2022), दिल्ली चुनाव (2020) और तमिलनाडु चुनाव (2021) में भी फ्री स्कीम्स गेमचेंजर साबित हुआ. दिल्ली और पंजाब में आप को और तमिलनाडु में डीएमके को स्पष्ट बहुमत मिला.

कांग्रेस की तरह बीजेपी ने भी फ्री स्कीम्स की कई घोषणाएं की. इनमें साल में 3 एलपीजी सिलेंडर मुफ्त, लड़कियों को स्कूटी और साइकिल देने की घोषणा प्रमुख थी. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ये मुद्दा बार-बार उठा चुके हैं 

साल 2022 के अगस्त महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक पार्टियों और मुफ़्त में सुविधाएं दिए जाने का ज़िक्र करते हुए कहा था, “इस तरह के वादे करके वोटरों को लुभाना राष्ट्र निर्माण नहीं, बल्कि राष्ट्र को पीछे धकेलने की कोशिश है.”

पीएम मोदी ने कहा, “अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ़्त देने की घोषणा कर सकता है. ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक़ छीनेंगे. देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे. ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार करदाता का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा. ये नीति नहीं ‘अनीति’ है. ये राष्ट्रहित नहीं, ये राष्ट्र का अहित है.”

जुलाई के महीने में भी बुंदेलखंड-एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के जालौन में पीएम मोदी ने कहा था, “आजकल हमारे देश में मुफ़्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की भरसक कोशिश हो रही है. ये रेवड़ी कल्चर देश के विकास के लिए बहुत घातक है. रेवड़ी कल्चर वालों को लगता है कि जनता जनार्दन को मुफ्त की रेवड़ी बांटकर उन्हें खरीद लेंगे. हमें मिलकर रेवड़ी कल्चर को देश की राजनीति से हटाना है.”

चाह रहे हैं तो उसके लिए भी नियम कानून होने चाहिए कि उसे किस तरह होना चाहिए. इसकी जवाबदेही भी होनी चाहिए.”



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