- March 4, 2025
SEBI की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच को मिली बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत, FIR पर लगी रोक

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एक विशेष अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें पूर्व SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) प्रमुख माधबी पुरी बुच, बोर्ड के कुछ सदस्यों और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बड़े अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. बुच और अन्य अधिकारियों ने इस मामले को खारिज करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था. जस्टिस शिवकुमार डिगे ने इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए स्वीकार किया और आज बुच और अन्य अधिकारियों के पक्ष में कार्यवाही पर रोक लगा दी.
क्या था पूरा मामला?
एक विशेष अदालत ने पूर्व SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ शेयर बाजार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन के आरोपों में मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. अदालत ने यह भी कहा था कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी. हालांकि, SEBI ने इस आदेश को चुनौती देने का फैसला किया है. SEBI का कहना है कि अदालत ने बोर्ड को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया.
विशेष अदालत के जज शशिकांत एकनाथराव बंगार ने एक पत्रकार सपन श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “इस मामले में नियामक लापरवाही और मिलीभगत के प्राथमिक सबूत हैं, जिसके लिए एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है.” आपको बता दें, याचीकाकर्ता सपन श्रीवास्तव ने इस मामले में जांच की मांग की थी. अदालत ने यह भी कहा कि आरोपों में एक संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है, जिसके लिए जांच जरूरी है. साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और SEBI की निष्क्रियता के कारण “न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है.”
SEBI का क्या पक्ष था
SEBI ने इस फैसले पर कहा था कि वह “इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगी.” SEBI ने यह भी तर्क दिया कि नामित अधिकारी संबंधित समय में अपने पद पर नहीं थे. SEBI ने कहा, “अदालत ने SEBI को कोई नोटिस जारी किए बिना या तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का मौका दिए बिना ही याचिका को मंजूरी दे दी.” SEBI ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता एक “अभ्यस्त मुकदमेबाज” है, जिसकी पिछली याचिकाएं अदालत द्वारा खारिज कर दी गई थीं और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया गया था.
माधबी पुरी बुच का कार्यकाल
माधबी पुरी बुच, जो SEBI की पहली महिला प्रमुख थीं, का तीन साल का कार्यकाल 1 मार्च को समाप्त हो गया. उनके कार्यकाल के दौरान शेयर बाजार में तेजी से समाधान, FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) में बढ़ोतरी और म्यूचुअल फंड पैठ को बढ़ाने जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई थी. हालांकि, उनके कार्यकाल के अंतिम वर्ष में विवाद भी देखने को मिले थे.
किन अधिकारियों के खिलाफ FIR का आदेश?
माधबी पुरी बुच के अलावा, जिन अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया था, उनमें BSE के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुंदररमन राममूर्ति, तत्कालीन चेयरमैन और पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर प्रमोद अग्रवाल और SEBI के होल-टाइम मेंबर अश्वनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं.
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