• February 25, 2024

पक्षियों की उड़ान पर लगी इंसानी नज़र और सिकुड़ता पक्षियों का संसार

पक्षियों की उड़ान पर लगी इंसानी नज़र और सिकुड़ता पक्षियों का संसार
Share


<p style="text-align: justify;">यह जानी हुई बात है कि लगभग हर जीव-जंतु और पेड़-पौधे इस धरती पर हम इंसानों से बहुत पहले से रहते आ रहे हैं. अगर पृथ्वी की आयु को एक दिन यानी 24 घंटे का मान लें&nbsp; तो, मनुष्य का इस धरती पर आना कुछ ही सेकंड पहले हुआ है. और इन कुछ सेकंडों में ही हमने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि युगों-युगों से इस धरती के वासी असंख्य जीव-जंतु, पेड़-पौधे&nbsp; खतरनाक स्तर तक प्रभावित हो रहे हैं, यहां तक कि कुछ के अस्तित्व पर ही&nbsp; संकट खड़ा हो गया है. उदाहरण के लिए पक्षी पृथ्वी पर हमारे यानी&nbsp; होमो सेपियंस के सिर्फ 3 लाख साल के मुकाबले 60 लाख साल से पृथ्वी के कोने-कोने तक विचरण करते रहे हैं, लेकिन आज हम खुद को इस धरती का ना सिर्फ मालिक समझ बैठे हैं, बल्कि आकाश तक में उड़ने वाली पक्षियों के लिए खतरा बन गए हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पक्षियों की हजारों प्रजातियां विलुप्त</strong></p>
<p style="text-align: justify;">नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित एक ताजा रिसर्च के अनुसार पक्षियों की कम से कम 1430 प्रजातियां सिर्फ इंसानों की वजह से लुप्त हो गई हैं. यानी हर नौ में से एक पक्षी की नस्ल, कहीं अत्यधिक शिकार की वजह से, कहीं जंगल कटने की वजह से, कहीं&nbsp; पानी और हवा के प्रदूषण से तो कहीं&nbsp; तेज शोरगुल से अपना संतुलन खो के या फिर शहरों&nbsp; के शीशे की चमक-दमक में खोकर और जलवायु परिवर्तन की वजह से विलुप्त हो चुके&nbsp; हैं. पक्षियों की कुल प्रजाति (वर्तमान में 11000 से कम) के लगभग 12% की&nbsp; विलुप्ति सीधे-सीधे मानव विकास के पिछले एक लाख तीस हज़ार साल से जुड़ा है यानी&nbsp; इंसानी&nbsp; कार्य-कलाप सीधे या परोक्ष रूप से ही जिम्मेदार है. पक्षियों के लुप्त होने का यह सिलसिला करीब 1, 30, 000 साल पहले शुरू हुआ जब इंसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को साफ करने लगे और अत्यधिक शिकार करने लगे. इंसानों के आसपास रहने वाले चूहे, कुत्ते और सूअर जैसे जानवर भी ना सिर्फ परिंदों और उनके घोंसले के लिए समस्या बनने लगे बल्कि पक्षियों का खाना भी चट करने लगे.&nbsp; इस प्रकार अधिकांश पक्षी&nbsp; मानव सभ्यता के विकास के पहले ही विलुप्त हो गये. इस प्रकार ना सिर्फ पक्षियों की प्रजाति&nbsp; विलुप्त हुई बल्कि पारिस्थिकी तंत्र में उनका महत्वपूर्ण किरदार भी प्रभावित हुआ जिसमें&nbsp; बीजों&nbsp; का प्रकीर्णन और पेड़-पौधों का निषेचन शामिल है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>परिंदो का जाना, मतलब सुंदरता का जाना</strong></p>
<p style="text-align: justify;">परिंदे पृथ्वी के सबसे सुन्दर और अनोखे जीवों में से एक हैं, जो हवा में लम्बी दूरी तक उड़ सकते हैं&nbsp; और जिनका रहवास धरती के ऊपर होता है. जीवन के विकासवाद के सिद्धांत के अनुसार पक्षियों की उत्पत्ति डायनासोरों से हुई है यानी&nbsp; धरती से जीवन के विकास का क्रम पक्षी के रूप में आकाश की तरफ बढ़ता है.&nbsp; पक्षी अलग-अलग रंग और आकार में मौजूद हैं. लेकिन सभी पक्षियों की बिना दांत के एक चोंच, दो पंख और दो टांगे, हवा से भरी हलकी हड्डियाँ&nbsp; होती हैं और सभी अंडों से पैदा होते हैं. अभी तक जन भागीदारी से वैश्विक स्तर पर पक्षियों की संख्या और प्रजाति दर्ज वाली वेबसाइट इबर्ड के अनुसार 23 फ़रवरी 2024 तक पक्षियों की 10825 प्रजातियां दर्ज हैं, हालांकि एक नई रिसर्च कहती है कि यह संख्या 18000 के आसपास हो सकती है. जहां तक बात उनकी कुल संख्या की है तो यह 50 अरब से लेकर 430 अरब के बीच हो सकती है. नेशनल ज्योग्राफी के अनुसार शुतुरमुर्ग पृथ्वी पर मौजूद सबसे बड़ा पक्षी है जिसका कद 2.7 मीटर तक हो सकता है और उसके पंख 2 मीटर तक फैल सकते हैं, वहींं बी हमिंग बर्ड 55 सेंटीमीटर तक की लम्बाई और दो ढाई ग्राम वजन के साथ सबसे छोटा पक्षी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पृथ्वी की विविधता को संवारते हैं पक्षी</strong></p>
<p style="text-align: justify;">पक्षियों का संसार अद्भुत विविधताओं से भरा है, और प्रजनन, भोजन और अपनी&nbsp; प्रजाति के अस्तित्व के लिए हजारों किलोमीटर लम्बी, सटीक, थका देने वाली और नियमित सालाना प्रवास यात्रा से आश्चर्यचकित करते हैं. पक्षियों में लम्बी दूरी के प्रवास के पीछे प्राकृतिक आवश्यकताओं और मौसम के बदलाव के अलावा द्वारा उनकी स्वतः प्रेरणा भी होती&nbsp; है. उतरी गोलार्द्ध&nbsp; में जैसे ही सर्दी आती है, आसपास में हो रहे भोजन की कमी से प्रेरित हो वे गर्म इलाकों&nbsp; (दक्षिण) की ओर कूच कर जाते हैं&nbsp;&nbsp; जहां प्रचुर संसाधन होते हैं. वैसे ही, वसंत आने के साथ अपने प्रजनन स्थल लौट नए चक्र की शुरुआत करते है. प्रवास यात्राएं केवल सर्दी में ही नहीं हर मौसम में अलग- अलग प्रजाति और स्थान के अनुसार होती है. अनेक पक्षी हजारों मील महाद्वीप, समुद्र&nbsp; और अनेक जलवायु क्षेत्रो से होकर पूरी करते&nbsp; हैं. आर्कटिक टर्न नामक पक्षी आर्कटिक से पृथ्वी के दूसरे छोर अंटार्कटिका तक 44000 मील सालाना दूरी तय करती है. पक्षियों का प्रवासन बदलते मौसम का द्योतक होता है. भारत में चातक पक्षी (जेकोबीन कुकु) अफ्रीका से गर्मी में प्रवासन करती है, और अपने साथ बारिश भी लेकर आती है. यहाँ चातक पक्षी का दिखना मानसून के आगमन का द्योतक है. पक्षियों का प्रवासन निश्चित मार्ग से होता है, जो हर प्रजाति और स्थान के मुताबित निर्धारित माना जा सकता है. प्रवासन मार्ग आधुनिक हवाई मार्ग जैसा मान सकते है, जिसे फ्लाईवे कहते है. ऐसे कुल 9 फ्लाईवे है जिसमे सेंट्रल एशियन फ्लाईवे के रास्ते भारत में पक्षियों का प्रवासन होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हमने किया परिंदों का जीना दूभर</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जलवायु परिवर्तन, सघन खेती, कीटनाशकों का इस्तेमाल और प्रदूषण ने भी पक्षियों के लिए मुश्किलें पैदा की हैं उनके बसेरे और खाने के स्रोत सिमट रहे हैं. किसी भी पक्षी की अहमियत इस बात से तय नहीं हो सकती कि वह इंसानों के लिए कितना उपयोगी है. हर पक्षी की पारिस्थितिकी तंत्र में अहम भूमिका निर्धारित है, पर मानव केन्द्रित सोच के कारण आज भी पक्षियों की अनेक प्रजातीय अस्तित्व का संकट झेल रही है. पिछली सदी में ऐसी ही सोच के कारण माओ के शासन काल में चीन में भयंकर अकाल पड़ा था. खाद्य सुरक्षा और फसलों&nbsp; की बर्बादी रोकने के नाम पर चूहा, मक्खी, मच्छर और गौरैया के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया गया और नतीजा कीड़ो द्वारा फसल चट करने के कारण फैले भयंकर अकाल में कम से कम पांच करोड़ लोग मारे गए. एक हालिया रिसर्च बताती है कि पक्षी हर साल 40 से 50 करोड़ टन कीड़े खाते हैं. चील और गिद्ध जैसे पक्षी मरे हुए जीवों को खाकर इससे बीमारियों को फैलने धरती को साफ करने में मदद करते है. पक्षी परागण में भी मदद करते हैं और बीजों को फैलाकर जैव विविधता को भी बढ़ाते हैं. वह जो भी फल या अनाज&nbsp; खाते हैं उसके बीज को बीट के जरिए दूर-दूर तक फैला कर धरती के परिवेश को जीवंतता देते हैं, निर्जन से निर्जन इलाकों में भी जीवन को पहुंचाते हैं और पारिस्थितिकी को समृद्ध करते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत में पक्षियों का प्रवास</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अभी आकाश में गाहे ब गाहे भारत में सर्दी बिता&nbsp; के सुदूर उत्तर की ओर अपने देश लौट रहे प्रवासी पक्षियों के झुण्ड देखे जा सकते है और ये सिलसिला मार्च महीने तक चलता रहेगा. हर बीतते साल पक्षियों का सुदूर प्रवास दुरूह होता जा रहा है. इसके कारणों में प्रमुख है जल स्रोतों की कमी, रसायन और कीटनाशक आधारित खेती, अवैध शिकार, वायु प्रदूषण इत्यादि. भारत के पक्षियों की स्थिति के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मांसाहारी, अनाज और बीज खाने वाले पक्षियों की संख्या में गिरावट आहार श्रृंखला में रासायनिक खाद और पेस्टीसाइड जैसे जहर की मौजूदगी की तरह इशारा करते हैं. दूसरी तरफ कटते वृक्षों और कंक्रीट के जंगलों ने पक्षियों के आशियाने को छीन लिया है. हाल ही में समरकंद में संपन्न प्रवासी जीवो के कन्वेंसन के कॉप14 में भी सेंट्रल एशियाई फ्लाईवे की मान्यता के साथ साथ 14 प्रवासी प्रजातियों, जिसमें चार पक्षी भी शामिल है के संरक्षण पर जोर देने का संकल्प लिया है. साथ ही साथ रामसर ने भी भारत में चार नए रामसर साईट को मान्यता दी है, पर जरुरत है ऐसे संरक्षण क्षेत्रो का दायरा बढाने की, खास कर गंगा के मैदानी इलाको में, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखण्ड शामिल हैं, जो सेंट्रल एशियन फ्लाईवे के केंद्र में है.</p>
<p style="text-align: justify;">हमारे देश में पक्षियों को जानने- समझने का विज्ञान अभी शैशवावस्था में है. हालाँकि पक्षी संरक्षण की दिशा में काम हो रहे हैं पर पर्यावरण क्षय की गति की तुलना में यह प्रयास नाकाफी है. यह स्पष्ट है कि पक्षियों का मूल्य ना सिर्फ पारिस्थितिकी के लिहाज से बल्कि मनुष्य के समृद्धि और सतत् विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए भी महत्वपूर्ण है. पक्षियों के आवासों का संरक्षण और रखरखाव जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है. ऐसी स्थिति में मेहमान पक्षियों और प्रकृति के संगीत को बचाये रखने की जरूरत है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]</strong></p>


Source


Share

Related post

Peace-loving Nation Like India Should Have Enough Teeth: CDS Gen Anil Chauhan – News18

Peace-loving Nation Like India Should Have Enough Teeth:…

Share Last Updated: October 05, 2024, 00:00 IST Chief of Defence Staff Gen Anil Chauhan (File) The CDS,…
‘What happens to democracy if you interfere like this’: Supreme Court questions Delhi LG on ‘hurry’ to hold MCD elections | India News – Times of India

‘What happens to democracy if you interfere like…

Share NEW DELHI: The Supreme Court on Friday reprimanded Delhi Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena for ordering the…
PM Modi chairs high-level security meeting amid West Asia conflict: Report | India News – Times of India

PM Modi chairs high-level security meeting amid West…

Share NEW DELHI: Prime Minister Narendra Modi presided over a meeting of the cabinet committee on security to…