• May 26, 2023

आर्टिकल 32 और आर्टिकल 79 का सुनवाई के दौरान आया जिक्र, जानें कोर्ट ने क्‍या-क्‍या कहा

आर्टिकल 32 और आर्टिकल 79 का सुनवाई के दौरान आया जिक्र, जानें कोर्ट ने क्‍या-क्‍या कहा
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Parliament Building Inauguration Row: नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर चल रहे विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से याचिका को खारिज कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए. उनकी जगह प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट से कहा गया था कि वो सरकार को इसके लिए निर्देश जारी करे. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो इस मामले में दखल नहीं देगा. याचिकाकर्ता की तरफ से आर्टिकल 32 और आर्टिकल 79 का हवाला देते हुए ये याचिका दायर की गई थी. 

आर्टिकल 32 और 79 का जिक्र
याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वो इसके तहत सुनवाई नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, हम आर्टिकल 32 के तहत इस याचिका को सुनने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं. इसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से संविधान के आर्टिकल 79 का जिक्र किया गया. जिसमें कहा गया है कि संसद में राष्ट्रपति और दोनों सदन शामिल हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 79 का संसद भवन के उद्घाटन से क्या लेना-देना है?

क्या है आर्टिकल 32? 
आर्टिकल 32, जिसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में हुआ और याचिकाकर्ता की तरफ से जिसका हवाला दिया गया उसे संविधान की आत्मा कहा जाता है. क्योंकि ये आर्टिकल मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है. इसके तहत अगर किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है तो वो सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार रखता है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई करता है. संविधान बनाने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर ने इसे संविधान का दिल और आत्मा कहा था. 

याचिकाकर्ता ने दिए थे ये तर्क
जनहित याचिका में कहा गया था कि ‘‘संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि (भारत) संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन राज्यसभा और लोकसभा होंगे. लेकिन प्रतिवादी भारतीय संविधान का पालन नहीं कर रहे हैं.’’ इसमें संविधान के अनुच्छेद 79 का उल्लेख करते हुए कहा गया था कि राष्ट्रपति लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप का अभिन्न हिस्सा हैं और इसलिए शीर्ष न्यायालय का हस्तक्षेप ‘इस राष्ट्र के लोकतंत्र’ की रक्षा के लिए जरूरी है.’’ साथ ही, अनुच्छेद 87 में कहा गया है कि संसद के हर सत्र की शुरूआत में, राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण देंगे और इसकी बैठक बुलाये जाने के उद्देश्य से अवगत कराएंगे. लेकिन प्रतिवादी (लोकसभा सचिवालय और केंद्र) राष्ट्रपति को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं.’’ 

ये भी पढ़ें – भारतीय परंपराओं से इतनी नफरत क्यों करती है कांग्रेस? सेंगोल विवाद पर जयराम रमेश को अमित शाह ने दिया जवाब



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