- October 17, 2025
दुनिया में तेजी से बढ़ रही है मुस्लिम आबादी! जानें ईसाई-हिंदू समेत बाकी धर्मों का हाल, रिसर्च म

अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित Pew Research Center Report ने नई स्टडी में बताया है कि पिछले दशक में दुनिया का धार्मिक ढांचा तेजी से बदल रहा है. 2010 से 2020 के बीच वैश्विक आबादी में भारी वृद्धि हुई और लगभग सभी बड़े धर्मों की संख्या में इजाफा हुआ है, लेकिन इन सबके बीच मुस्लिम आबादी की बढ़ोतरी सबसे तेज रही, जबकि ईसाई धर्म की हिस्सेदारी में धीरे-धीरे गिरावट आई है.
Pew Research Center Report के अनुसार 2010 में दुनिया में लगभग 2.18 अरब ईसाई थे, जो 2020 में बढ़कर 2.30 अरब हो गए. संख्या बढ़ने के बावजूद विश्व जनसंख्या में ईसाइयों का अनुपात 30.6% से घटकर 28.8% पर आ गया. स्टडी में यह भी पाया गया कि ईसाई धर्म में जन्म दर तो बनी रही, लेकिन बड़ी संख्या में लोग धर्म छोड़ रहे हैं. रिपोर्ट के लेखक कॉनराड हैकेट के अनुसार हर नए ईसाई के मुकाबले तीन लोग ईसाई धर्म से दूरी बना लेते हैं. यह नेचर ईसाई समाज की जनसंख्या प्रभावित कर रही है.
इस्लाम की आबादी में तेज विस्तार
2010 से 2020 के बीच इस्लाम की जनसंख्या में लगभग 34.7 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. अब दुनिया में मुसलमानों की संख्या 2 अरब से अधिक हो चुकी है. उनकी हिस्सेदारी 23.8% से बढ़कर 25.6% तक पहुंच गई. इस बढ़ोतरी के कई कारण हैं, जैसे धर्मांतरण की दर यहां बहुत कम है, जिससे स्वाभाविक बढ़ोतरी तेजी से हो रही है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि आने वाले दशकों में ईसाई और मुस्लिम आबादी लगभग बराबर हो सकती है.
हिंदू और यहूदी धर्म स्थिर जनसंख्या
रिपोर्ट बताती है कि हिंदू धर्म की जनसंख्या में लगभग 12.6 करोड़ की वृद्धि हुई और यह कुल मिलाकर 1.2 अरब तक पहुंच गई है. फिर भी विश्व स्तर पर इसकी हिस्सेदारी लगभग 14.9% पर स्थिर बनी हुई है. यहूदी धर्म में भी हल्की वृद्धि दर्ज की गई 2010 में यह 1.38 करोड़ था, जो 2020 में बढ़कर 1.48 करोड़ हो गया. यह अब भी दुनिया की आबादी का केवल 0.2% है. दोनों धर्मों में धर्मांतरण बहुत कम है, जिससे उनकी स्थिति स्थिर बनी रही.
बौद्ध धर्म में कमी और गैर-धार्मिकों का उभार
बौद्ध धर्म की जनसंख्या 2010 में 34.3 करोड़ थी, जो 2020 में घटकर 32.4 करोड़ रह गई. कम जन्म दर और धर्मांतरण इसकी गिरावट के प्रमुख कारण रहे. दूसरी ओर, असंबद्ध या गैर-धार्मिक (Non-Religious) लोगों की संख्या बढ़ी है. इस श्रेणी में नास्तिक (Atheist), अज्ञेयवादी (Agnostic) और वे लोग शामिल हैं जो किसी धर्म से नहीं जुड़ना चाहते. 2010 में इनकी हिस्सेदारी 23.3% थी, जो 2020 में बढ़कर 24.2% हो गई. ईसाई समाज से धर्म छोड़ने वालों की वजह से हुई है. सबसे अधिक असंबद्ध लोग चीन, अमेरिका और जापान में पाए गए हैं.
अफ्रीका और एशिया में बढ़ती धार्मिकता
रिपोर्ट में बताया गया है कि अब उप-सहारा अफ्रीका में दुनिया के लगभग 31% ईसाई रहते हैं, जबकि 2010 में यह आंकड़ा 24.8% था. यहां की ऊंची जन्म दर और युवा आबादी इसका प्रमुख कारण है. इसके विपरीत, यूरोप में ईसाई धर्म का प्रभाव घट रहा है. मोज़ाम्बिक जैसे अफ्रीकी देशों में ईसाई आबादी में लगभग 5% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. प्यू रिसर्च सेंटर रिपोर्ट बताती है कि 21वीं सदी के मध्य तक ईसाई और मुस्लिम मिलकर दुनिया की लगभग आधी आबादी को लीड करेंगे. विकसित देशों में धर्मनिरपेक्षता और असंबद्धता बढ़ेगी, जबकि अफ्रीका और एशिया में धार्मिक पहचान और आस्था और भी मजबूत होती जाएगी.
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