- November 18, 2024
सऊदी अरब में 2024 में मौत की सजा पाने वाले विदेशियों की संख्या 100 के पार
Saudi Arabia Execution 2024: सऊदी अरब में इस साल अब तक 100 से अधिक विदेशियों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक अभूतपूर्व वृद्धि दर्शाती है. सऊदी प्रेस एजेंसी और अन्य मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इन मामलों में अधिकांश विदेशी नागरिक ड्रग्स की तस्करी जैसे अपराधों में शामिल पाए गए.
सऊदी अरब में 2024 में अब तक 101 विदेशियों को मौत की सजा दी जा चुकी है, जो 2023 और 2022 में दर्ज की गई संख्या से लगभग तीन गुना अधिक है. साल 2023 में मौत की सजा पाने वालों की संख्या 34 विदेशी थी और 2022 में भी 34 थी. हालांकि, इस साल 2024 में आंकड़ा 100 के पार चला गया है.
सऊदी अरब में मरने वाले भारतीयों की संख्या
इस साल की मृत्युदंड की संख्या सऊदी अरब के इतिहास में पहली बार 100 से अधिक पहुंची है. यूरोपीय-सऊदी मानवाधिकार संगठन (ESOHR) ने इसे “एक साल में विदेशियों को दी गई सबसे बड़ी संख्या” बताया. सऊदी अरब में मृत्युदंड पाने वाले विदेशियों की सूची में विभिन्न देशों के नागरिक शामिल हैं, जो इस प्रकार है.
- पाकिस्तान: 21
- यमन: 20
- सीरिया: 14
- नाइजीरिया: 10
- मिस्र: 9
- जॉर्डन: 8
- इथियोपिया: 7
- भारत, सूडान और अफगानिस्तान: 3-3
- श्रीलंका, इरिट्रिया और फिलीपींस: 1-1
ड्रग अपराधों पर फांसी का विस्तार
सऊदी अरब ने 2022 में ड्रग अपराधों के लिए फांसी पर लगी तीन साल की रोक को समाप्त कर दिया. इसके बाद ड्रग्स से जुड़े अपराधों में मृत्युदंड की संख्या में तेज वृद्धि हुई. यह फैसला अंतरराष्ट्रीय आलोचना के केंद्र में है, क्योंकि इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन और अत्यधिक सजा का उदाहरण बताया गया है.
मानवाधिकार संगठनों की आलोचना
सऊदी अरब को लंबे समय से मृत्युदंड के अपने कठोर उपयोग को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इसको लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने “मानवाधिकारों के अनुकूल न होना करार दिया. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह सऊदी अरब की नरम छवि बनाने और वैश्विक निवेशकों व पर्यटकों को आकर्षित करने के प्रयासों के विपरीत है.
दुनिया में मृत्युदंड में सऊदी की स्थिति
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, सऊदी अरब 2023 में चीन और ईरान के बाद तीसरा देश था, जहां सबसे अधिक मृत्युदंड दिए गए.
2022: 196 फांसी
1995: 192 फांसी
2024 में यह संख्या अब तक 274 तक पहुंच गई है, जो पिछले तीन दशकों का सबसे ऊंचा स्तर है.
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