• October 25, 2024

‘लापरवाही तभी मानी जाएगी, जब डॉक्टर के पास योग्यता न हो या वह इलाज ठीक से न करे’, सुप्रीम कोर्ट

‘लापरवाही तभी मानी जाएगी, जब डॉक्टर के पास योग्यता न हो या वह इलाज ठीक से न करे’, सुप्रीम कोर्ट
Share

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि डॉक्टरों को लापरवाही के लिए तभी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जब उसके पास अपेक्षित योग्यता और कौशल न हो या इलाज के दौरान उचित विशेषज्ञता का इस्तेमाल न किया गया हो.

जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि जब मरीज का इलाज करते वक्त डॉक्टर की ओर से अपेक्षित सावधानी बरती गई हो तो यह कार्रवाई करने जैसा लापरवाही का मामला नहीं होगा, बशर्ते इसे गलत न साबित कर दिया जाए.

1996 में हुई थी सर्जरी

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें डॉक्टर को लापरवाह ठहराया गया था. शिकायतकर्ता के अनुसार, उनके नाबालिग बेटे की बायीं आंख में जन्मजात विकार पाया गया था, जिसे एक छोटी सी सर्जरी की आवश्यकता थी. चंडीगढ़ के पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) में डॉ. नीरज सूद ने 1996 में सर्जरी की थी.

डॉक्टर पर प्रक्रिया में गड़बड़ी  का लगाया था आरोप

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे में पाई गई शारीरिक विकृति को एक छोटे से ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता था, क्योंकि लड़के की आंखों में कोई अन्य बीमारी नहीं थी. डॉक्टर पर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया, जिससे सर्जरी के बाद लड़के की हालत बिगड़ गई. इसके बाद शिकायतकर्ता ने डॉ. सूद और पीजीआईएमईआर के खिलाफ मेडिकल नेग्लिजेंस यानी चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया, जिसे राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 2005 में खारिज कर दिया था. उपरोक्त निर्णय से व्यथित होकर, शिकायतकर्ताओं ने एनसीडीआरसी के पास अपील दायर की.

नहीं पेश कर पाए सबूत

एनसीडीआरसी ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले को खारिज कर दिया और डॉक्टर और अस्पताल को इलाज में लापरवाही के लिए तीन लाख रुपये तथा 50,000 रुपये का मुआवजा देने के लिए संयुक्त रूप से तथा अलग-अलग उत्तरदायी माना. डॉ. सूद और  पीजीआईएमईआर ने एनसीडीआरसी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ताओं ने डॉ. सूद या पीजीआईएमईआर की ओर से लापरवाही साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया.

जरूरी नहीं मरीज की हालत में सुधार हो

बेंच ने कहा कि जरूरी नहीं कि सर्जरी के बाद मरीज की हालत में गिरावट अनुचित या अनुपयुक्त सर्जरी के कारण आई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘सर्जरी या ऐसे उपचार के मामले में यह जरूरी नहीं है कि हर मामले में मरीज की हालत में सुधार हो और सर्जरी मरीज की संतुष्टि के अनुसार सफल हो. यह बहुत संभव है कि कुछ दुर्लभ मामलों में इस तरह की जटिलताएं उत्पन्न हो जाएं, लेकिन इससे चिकित्सा विशेषज्ञ की ओर से कोई कार्रवाई योग्य लापरवाही साबित नहीं होती है.’’

यह भी पढ़ें- ‘राहुल गांधी देश के पीएम बनने वाले हैं’, जानें किसने कर दी ये भविष्यवाणी



Source


Share

Related post

Maharashtra Doctor Suicide: Accused Sub-Inspector Surrenders Amid Rape, Harassment Allegations

Maharashtra Doctor Suicide: Accused Sub-Inspector Surrenders Amid Rape, Harassment Allegations

Share Last Updated:October 25, 2025, 23:59 IST Gopal Badane had been absconding since the tragic incident came to…
Government to pay bail surety of poor undertrials: SC | India News – The Times of India

Government to pay bail surety of poor undertrials:…

Share NEW DELHI: Framing a unique standard operating procedure, Supreme Court has directed that if a poor person,…
Criminal law can’t become means to settle scores: Supreme Court | India News – The Times of India

Criminal law can’t become means to settle scores:…

Share NEW DELHI: Supreme Court has said that criminal law cannot become a platform for initiation of vindictive…