- May 17, 2023
यरूशलम में फ्लैग डे के दिन क्यों होता है इजराइल और फिलिस्तीन के बीच विवाद
Jerusalem: यरूशलम फ्लैग मार्च को लेकर इजराइल और फिलिस्तीन के बीच एक बार फिर हिंसा भड़क सकती है. गौरतलब है कि हाल के दिनों में इजराइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव बढ़ा हुआ है. ऐसे में बवाल बढ़ने की संभावना और बढ़ जाती है. यरूशलम फ्लैग मार्च के आयोजकों को उम्मीद है कि इस बार परेड में भाग लेने वालों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो सकती है. ऐसे में मुस्लिम इलाकों में भीड़ को नियंत्रित कर पाना आसान नहीं होगा.
दरअसल साल 1967 में इजराइल ने अपनी सैन्य ताकत से दुनिया को परिचय कराया था. तब इस मुल्क ने अरब देशों के साथ छह दिनों तक चली जंग में जीत हासिल की थी. इस जीत के साथ ही पूर्वी यरूशलम पर इजराइल का कब्जा हो गया था. इस जीत की याद में कट्टर
इजराइल ने दर्ज की थी जीत
यहूदी मानते हैं कि इजराइल की जीत के साथ ही पश्चिमी यरूशलम और पूर्वी यरूशलम एक हो गए थे. यहूदियों के पवित्र स्थान यरूशलम पर कब्जे के बाद इजराइल ने पूरे शहर को अपनी राजधानी माना था. इसके साथ ही यहां से फलस्तीनियों को बड़े पैमाने पर बेदखल होना पड़ा था. हिब्रू कैलेंडर के अनुसार यरूशलम फ्लैग मार्च अय्यार कैलेंडर के 28वें दिन पर पड़ता है.
कई बार भड़क चुकी है हिंसा
यरूशलम फ्लैग मार्च में हर बार की तरह इस बार भी अनुमान है कि हजारों युवा भाग लेंगे, ऐसे में मार्च उग्र भी हो सकता है. इससे पहले भी फ्लैग मार्च के दौरान हिंसा देखने को मिल चुकी है. बताते चलें कि यरूशलम फ्लैग मार्च के मौके पर इजराइली युवा हाथों में झंडे लिए राष्ट्रवादी गीत गाते हुए दमिश्क गेट से होते हुए निकलते हैं. यह फ्लैग मार्च यरूशलम की पुरानी गलियों से होते हुए वेस्टर्न वॉल होते हुए निकलता है.
अल अक्सा मस्जिद के बड़े हिस्से पर दावा करते हैं यहूदी
मार्च के दौरान जब इजराइली युवा मुसलमानों के इलाकों से निकलते हैं तो जमकर नारेबाजी करते हैं. इसके साथ ही यहूदी अल अक्सा मस्जिद के बड़े हिस्से पर दावा जताते हैं. यह भी मुस्लिमों और यहूदियों के बीच विवाद की वजह है. इस दौरान कई बार हिंसा हुई है. गौरतलब है कि वेस्टर्न वॉल यहूदियों की सबसे पवित्र मानी जाने वाली माउंट मंदिर की दीवार है. यहूदी मानते हैं कि यह मंदिर उस पवित्र पत्थर (डोम ऑफ़ रॉक) की जगह है जहां से दुनिया की शुरुआत हुई थी.
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