- April 8, 2025
आज कैसी रह सकती है बाजार की चाल, इन्वेस्टर्स के लिए किसमें रहेगा बेहतर और सुरक्षित निवेश

Stock Market News: ग्लोबल ट्रेड वॉर बढ़ने और अमेरिका में मंदी आने की आशंका के चलते 7 अप्रैल (सोमवार) को भारतीय शेयर बाजार बुरी तरह से क्रैश हो गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ एलान और उस पर चीन की जवाबी कार्रवाई ने बाजार को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है. सेंसेक्स 226 अंक गिरकर बंद हुआ तो वहीं निफ्टी 22 हजार के भी नीचे चला गया. इस गिरावट की वजह से निवेशकों की संपत्ति एक दिन में करीब 13.5 लाख करोड़ रुपये कम हो गई.
इससे स्मॉल कैप और मिड कैप शेयरों में भी हाहाकार का आलम रहा. बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 3.46 प्रतिशत और स्मॉल कैप इंडेक्स में 4.16 फीसदी का गोता लगाया. सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए. सबसे अधिक गिरावट मेटल आईटी रियलिटी और कैपिटल गुड्स के शेयरों में देखने को मिली.
कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 2226.79 अंक या 2.95 फीसदी गिरावट के साथ 73, 137.90 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, एनएसई का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी 742.85 अंक या 3.24% टूटकर 22,161.60 के स्तर पर बंद हुआ.
जबरदस्त गिरावट
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन 7 अप्रैल को घटकर 389. 92 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो उसके पिछले कारोबारी दिन यानी शुक्रवार 4 अप्रैल को 403.34 लाख करोड़ रुपये रहा था.
इस तरह बीएसई कंपनियों में लिस्टेड मार्केट कैप करीब 13.42 लाख करोड़ रुपये घटा है. दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए तो निवेशकों की संपत्ति में 13.42 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आयी है. ये गिरावट इतनी तेज थी कि बीएसई सेंसेक्स में शामिल सभी 30 शेयर लाल निशान में बंद हुआ. ऐसा पिछले कई सालों में पहली बार हुआ है.
कैसी रहेगी मार्केट की चाल?
रिसर्च एंड वेल्थ मैनेजमेंट के हेड सिद्धार्थ खेमका ने मनी कंट्रोल के साथ बात करते हुए बताया कि बाजार में आयी बिकवाली की मुख्य वजह ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर और इसके चलते ग्लोबल इकॉनोमी की मंदी में जाने की आशंका है.
चीन, कनाडा और यूरोपी संघ सहित कई देशों ने अमेरिकी सामानों पर भी जवाब टैरिफ लगाने की बात कही है. अब टैरिफ बढ़ोतरी के अगले चरण से पहले कोई समझौता हो पाएगा या भी नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है और ये बाजार में बनी अनिश्चितता एक बड़ी घबराहट पैदा कर रही है.
खेमका ने घबराहट में बिक्री करने या जोखिम भरे दांव लगाने से बचने की सलाह दी है. उनक कहना है कि निवेशकों को इसका इस्तेमाल फंडामेंटली मजबूत और घरेलू इकॉनोमी निर्भर कंपनियों में धीरे-धीरे खरीदारी शुरू करने के लिए करना चाहिए. उन्हें कंजप्शन, फाइनेंशियल और बैंकिंग शेयर निवेश के लिहाज से माकूल लग रहे हैं.
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