- May 26, 2025
प्रत्यक्ष विदेश निवेश फ्लो में 96 % की जबरदस्त गिरावट, RBI ने क्यों कहा परिपक्व बाजार के संकेत
Fall in FDI Flow: भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह में जबरदस्त कमी आयी है और ये 96.5 प्रतिशत तक गिर चुका है, जो अब तक का रिकॉर्ड लो है. आरबीआई के मुताबिक, पिछले फाइनेंशियल ईयर 2025 के दौरान देश में शुद्ध एफडीआई का प्रवाह 353 मिलियन डॉलर था, जो एक साल पहले यानी 2024 के दौरान ये 10 बिलियन डॉलर था. आरबीआई ने जारी बुलेटिन में बताया कि इसकी वजह है बाहर जाने वाले एफडीआई और रिपैट्रेशन में इजाफा हुआ है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि भारत में जितना पैसा आया, उससे कहीं ज्यादा बाहर चला गया.
क्यों एफआईआई फ्लो में कमी
शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कमी की एक वजह भारत से ज्यादा पैसा का वापस जाना है. फाइनेंशियल ईयर 2025 के दौरान 49 बिलियन डॉलर भारत से निकल गए थे, जबकि फाइनेंशियल ईयर 24 के दौरान ये आंकड़ा 41 बिलियन डॉलर का था. आरबीआई ने बताया कि स्थिर एफडीआई का शुद्ध प्रवाह अस्थिर पोर्टफोलियो प्रवाह की तुलना में 86 प्रतिशत कम रहा. पूरे साल के दौरान पोर्टफोलियो प्रवाह 2.67 बिलियन डॉलर का रहा.
एफडीआई के फ्लो में एक बड़ी गिरावट का कारण इस फाइनेंशियल ईयर के दौरान अल्फा वेव ग्लोबल और अन्य निवेशकों का स्विगी और विशाल मेगा मार्च जैसी कंपनियों के आईपीओ से निकल जाना भी माना जा रहा है.
विपक्ष उठा रहा सवाल
कांग्रेस ने रविवार को कहा कि भारत में एफडीआई) प्रवाह में गिरावट देश में निवेश संबंधी बड़ी अनिश्चितता को दर्शाती है. बड़ी संख्या में कंपनियां विदेश में निवेश करना पसंद कर रही हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि हाल में जारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-25 में भारत में शुद्ध एफडीआई प्रवाह अप्रत्याशित रूप से 96 प्रतिशत घटकर मात्र 0.4 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है.
जयराम रमेश ने कहा कि इस भारी गिरावट को लेकर जो भी आधिकारिक सफाई दी जा रही हो, सच्चाई यह है कि यह भारत में निवेश को लेकर जबरदस्त अनिश्चितता को दर्शाता है -जिससे न केवल विदेशी निवेशक, बल्कि भारतीय कंपनियां भी हतोत्साहित हो रही हैं और अब देश में निवेश करने के बजाय विदेश में निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं.
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