- July 15, 2025
टेस्ट क्रिकेट में वाइड गेंद का क्या है नियम? कब वाइड बॉल देता है अंपायर; आसान भाषा में समझें

सीमित ओवरों के क्रिकेट और टेस्ट मैचों में कई सारी असमानताएं होती हैं. इन्हीं में एक असमानता वाइड बॉल को लेकर नियम भी हैं. व्हाइट बॉल मैचों में वाइड को लेकर नियम बहुत सख्त होते हैं, लेकिन टेस्ट मैचों में इस मामले में कम सख्ती बरती जाती है. कई बार ऐसा भी होता है कि लेग साइड पर बॉल होने पर भी अंपायर वाइड का इशारा नहीं करता है. आखिर रेड बॉल क्रिकेट में वाइड के नियम क्या हैं और क्या इन्हें समझ पाना बहुत मुश्किल है? यहां डिटेल्स में समझिए पूरा नियम.
व्हाइट बॉल क्रिकेट की बात करें वाइड लाइन/सफेद रेखा स्टंप्स से करीब 89 सेंटीमीटर की दूरी पर होती है, और उससे कुछ दूरी पर रिटर्न क्रीज होती है. लेकिन टेस्ट मैचों में वाइड बॉल के लिए पिच पर सफेद रेखा मौजूद ही नहीं होती, वहां सिर्फ रिटर्न क्रीज वाली सफेद रेखा मौजूद होती है. दरअसल टेस्ट मैचों में वाइड तभी दी जाती है जब बॉल, बल्लेबाज की पहुंच से ज्यादा दूर हो. ODI और टी20 मैचों में वाइड गेंदों का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है, जबकि टेस्ट मैचों में एक्स्ट्रा रनों से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है.
आमतौर पर जब कोई गेंदबाज रिटर्न क्रीज से बाहर गेंद फेंकता है तो इसे वाइड करार दिया जाता है. वहीं गेंद अगर रिटर्न क्रीज के अंदर से गुजरी है, लेकिन बल्लेबाज की पहुंच से काफी दूर है, तो भी उसे वाइड करार दिया जाएगा. ऑफ-स्टंप और लेग स्टंप की वाइड गेंदों के लिए टेस्ट के नियम समान हैं. इसके अलावा जब कोई गेंदबाज बाउंसर बल्लेबाज के सिर के बहुत ऊपर से गुजरे तो भी अंपायर उसे वाइड करार देता है.
टेस्ट मैचों में ज्यादा वाइड नहीं होने का एक मुख्य कारण यह है कि रेड-बॉल मैचों में फील्डिंग और बल्लेबाजी टीम के बीच कम्पटीशन लेवल को बनाए रखने के लिए किया जाता है. गेंदबाजों को लंबे स्पेल फेंकने होते हैं, ऐसे में वाइड के लिए सख्त नियम गेंदबाजी टीम के प्रतिकूल रह सकते हैं.
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