- March 30, 2025
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी! EY ने जताया 6.5 फीसदी ग्रोथ का अनुमान

नए वित्तीय साल की शुरुआत के साथ ही EY ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अच्छी खबर दी है. उनकी नई रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी. लेकिन यह तभी हो पाएगा जब सरकार पैसे के इस्तेमाल को लेकर सही फैसले ले.
रिपोर्ट के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2024-25 में देश की अर्थव्यवस्था ने 6.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी. यह आंकड़ा राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा पिछले महीने जारी संशोधित अनुमानों से थोड़ा कम है, जिसमें 2024-25 के लिए 6.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए निजी खपत और सरकारी निवेश दोनों को बढ़ावा देना होगा.
रिपोर्ट में और क्या है?
EY की रिपोर्ट में कुछ प्रमुख चुनौतियों की ओर ध्यान दिलाया गया है. पिछले कुछ समय से निजी क्षेत्र के निवेश में कमी देखी जा रही है, जिसके चलते वित्त मंत्रालय ने हाल ही में उद्योग जगत से निवेश बढ़ाने की अपील की थी. साथ ही, सरकार को स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी खर्च बढ़ाने की जरूरत होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षा पर खर्च को वर्तमान के 4.6 फीसदी से बढ़ाकर 2048 तक जीडीपी का 6.5 फीसदी करना होगा, जबकि स्वास्थ्य व्यय को 3.8 फीसदी तक ले जाना होगा.
युवाओं पर भरोसा
EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने मीडिया से बताया कि भारत की युवा आबादी देश के लिए एक बड़ा अवसर है. उनके अनुसार, “कामकाजी उम्र की बढ़ती आबादी विकास, रोजगार, बचत और निवेश का एक सकारात्मक चक्र शुरू कर सकती है. लेकिन इसके लिए हमें स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर पर्याप्त निवेश सुनिश्चित करना होगा.”
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्व बढ़ाने और साथ ही राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने की होगी. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धीरे-धीरे राजस्व-से-जीडीपी अनुपात को 21 फीसदी से बढ़ाकर 29 फीसदी करने से सरकार को इन लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी.
मजबूत होने वाली है भारतीय अर्थव्यवस्था
नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में जारी यह रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के पास मजबूत विकास का अवसर तो है, लेकिन इसके लिए सही नीतिगत फैसलों और सतर्क प्रबंधन की आवश्यकता होगी. अब देखना यह है कि सरकार और उद्योग जगत इन चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और क्या वे इस साल 6.5 फीसदी की विकास दर हासिल कर पाते हैं.
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