- April 21, 2023
आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा, रेपो रेट में बढ़ोतरी का दिखने लगा असर, महंगाई में आई भारी कमी
RBI Bulletin: आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा है कि मॉनिटरी पॉलिसी का असर दिखाई दे रहा है और खुदरा महंगाई दर में भारी कमी आई है. हालांकि बुलेटिन में कहा गया कि जब तक महंगाई दर 4 फीसदी के लेवल पर नहीं आ जाती है तब तक आरबीआई की ओर सख्ती जारी रहेगी. सरकार ने आरबीआई के लिए 2 से 6 फीसदी महंगाई दर का टोलरेंस बैंड तय किया है जिसमें 2 फीसदी की कमी या ज्यादा के साथ 4 फीसदी पर स्थिर रखने का लक्ष्य है.
मार्च महीने के लिए जो महंगाई का आंकड़ा जारी किया गया है उसमें खुदरा महंगाई दर घटकर 5.66 फीसदी पर आ चुका है. 6 अप्रैल को आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी का एलान करते हुए पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया और रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला किया गया. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई में बुलेटिन में लेख लिखा गया है जिसमें कहा गया कि वैश्विक आर्थिक स्थिति अत्यधिक अनिश्चितता से घिरी हुई है. बुलेटिन के मुताबिक भारत में डिमांड की स्थिति मजबूत बनी हुई है. मांग को होटल जैसे सर्विस सेक्टर्स से समर्थन मिल रहा है. इसमें आगे कहा गया कि रबी फसल अच्छी होने की उम्मीद, बुनियादी ढांचे पर जोर और चुनिंदा क्षेत्रों में कॉरपोरेट निवेश बढ़ने के कारण अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं.
आरबीआई बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है, मॉनिटरी पॉलिसी का असर बेहद अच्छा रहा है. महंगाई में भारी कमी आई है. लेकिन महंगाई दर को चार फीसदी के लक्ष्य पर या उसके करीब लाने तक सख्ती जारी रहेगी. बुलेटिन में लिखे लेख में कहा गया कि मॉनिटरी पॉलिसी के तहत उठाये गए कदमों के चलते खुदरा महंगाई दर इस साल मार्च में कम होकर 5.66 फीसदी पर आ गई जो अप्रैल 2022 में 7.8 फीसदी पर जा पहुंची थी. इसमें आगे और कमी आने तथा 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में 5.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है.
अप्रैल 2022 में महंगाई दर के 7.8 फीसदी रहने के बाद आरबीआई ने मई 2022 से मॉनिटरी पॉलिसी को सख्त करते हुए छह बार में 2.50 फीसदी रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी. रेपो रेट 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया. पर महंगाई में कमी आई तो ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला भी शुरू हो सकता है. जानकारों का मानना है कि 2024 की शुरुआत के बाद से पॉलिसी रेट्स में कमी आने लगेगी. ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने अनुमान जताया है कि अक्टूबर से दरों में कटौती हो सकती है.
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