• November 27, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने हौज खास ‘डीयर पार्क’ का जमीनी सर्वे कर उसकी वहन क्षमता का पता लगाने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हौज खास ‘डीयर पार्क’ का जमीनी सर्वे कर उसकी वहन क्षमता का पता लगाने का निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हौज खास स्थित ‘डीयर पार्क’ में पुरानी प्रबंधकीय खामियों को रेखांकित करते हुए बुधवार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) को जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करने और पार्क में हिरणों की वर्तमान संख्या तथा उसकी क्षमता का पता लगाने का निर्देश दिया.

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि 2014-2022 की मूल्यांकन रिपोर्टें बाड़ों के रखरखाव, पशु चिकित्सा अवसंरचना, अभिलेख-संरक्षण, संख्या नियंत्रण और आवास संवर्धन से संबंधित लगातार गैर-अनुपालन को रेखांकित करती हैं.

पीठ ने कहा, ‘रिकॉर्ड में प्रस्तुत सामग्री से पता चलता है कि ए एन झा ‘डीयर पार्क’, अपने ऐतिहासिक और पारिस्थितिक महत्व के बावजूद, कई वर्षों से पुरानी प्रबंधकीय कमियों से ग्रस्त है.’ पीठ ने कहा कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा बार-बार दी गई विस्तार अवधि और समय-समय पर जारी किए गए चेतावनी पत्र यह दर्शाते हैं कि ‘डीयर पार्क’ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972; राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति, 1998 और भारत में चिड़ियाघरों की स्थापना और वैज्ञानिक प्रबंधन के दिशानिर्देश, 2008 द्वारा निर्धारित कानूनी मानकों के काफी नीचे संचालित हो रहा था.

पीठ ने कहा कि पर्याप्त पृथक्करण, बंध्याकरण और निगरानी तंत्र की कमी के कारण हिरणों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई, जो 10.97 एकड़ के बाड़े की क्षमता से कहीं अधिक थी. पीठ ने कहा, “ऐसी परिस्थितियों में, नियंत्रित स्थानांतरण के माध्यम से वैज्ञानिक संख्या प्रबंधन की आवश्यकता ना केवल पूर्वानुमेय थी बल्कि हिरणों की सेहत, कल्याण और स्थिरता के लिए अनिवार्य भी है.’’

उच्चतम न्यायालय, हिरणों को हिरण उद्यान से राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यानों में स्थानांतरित करने संबंधी एक याचिका पर सुनवायी कर रही थी. उसने कहा कि (i) हिरण उद्यान में वर्तमान में हिरणों की वास्तविक संख्या, (ii) स्थानांतरित किए गए और जीवित हिरणों की संख्या और (iii) आगे के स्थानांतरण की पारिस्थितिक व्यवहार्यता के संबंध में कोई सत्यापित तथ्य नहीं होने के कारण, अदालत का मानना है कि किसी भी आगे की कार्रवाई से पहले स्वतंत्र और वैज्ञानिक रूप से आधारित मूल्यांकन आवश्यक है.

उन्होंने कहा, “हमारी राय में, इस अदालत द्वारा गठित सीईसी (जो अब पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत काम कर रहा है), जिसे वन्यजीव शासन में विशेषज्ञता प्राप्त है, इस मूल्यांकन के लिए सबसे उपयुक्त है.”

पीठ ने कहा कि व्यापक मूल्यांकन केवल कानूनी मानकों के पालन का पता लगाने के लिए ही नहीं बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने और यह सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है कि कोई भी भविष्य का स्थानांतरण नैतिक, पारिस्थितिक और कानूनी मानकों के अनुरूप हो.

शीर्ष अदालत ने सीईसी को निर्देश दिया कि वह ‘डीयर पार्क’ में हिरणों की अधिकतम संख्या निर्धारित करें जिसे स्थायी और मानवतावादी तरीके से रखा जा सके, और अतिरिक्त हिरण संख्या (यदि कोई हो) को स्थानांतरित करने पर विचार करें.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगले आदेश तक, हौजखास स्थित ‘डीयर पार्क’ से किसी भी अतिरिक्त हिरण स्थानांतरण की अनुमति नहीं दी जाएगी. उसने मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च, 2026 को निर्धारित की गई है, ताकि सीईसी की रिपोर्ट की समीक्षा की जा सके.



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