• February 14, 2023

दिसंबर के मुकाबले जनवरी महीने में अमेरिका में कम बढ़ी महंगाई, 6.4 फीसदी रही महंगाई दर

दिसंबर के मुकाबले जनवरी महीने में अमेरिका में कम बढ़ी महंगाई, 6.4 फीसदी रही महंगाई दर
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US Inflation Data: महंगाई के मोर्चे पर अमेरिका के लिए अच्छी खबर आई है जिससे पूरी दुनिया के फाइनैंशियल मार्केट्स को राहत मिल सकती है. जनवरी महीने के लिए अमेरिका में  महंगाई दर में गिरावट आई है.  यूएस कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स डाटा जारी किया गया जिसके मुताबिक जनवरी में महंगाई दर घटकर 6.4 फीसदी रही है जो दिसंबर में 6.5 फीसदी रही थी. ब्यूरो ऑफ लेबर के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में महंगाई दर मांपने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया गया है. 

दिसंबर 2022 में महंगाई दर 6.5 फीसदी रही थी जो जनवरी 2023 में 6.4 फीसदी पर आ गई है. ये अक्टूबर 2021 से बेहद कम है जब फूड कॉस्ट 10.1 फीसदी रही थी जो एनर्जी प्राइसेज की महंगाई 8.7 फीसदी रही थी. बीते वर्ष जून 2022 में महंगाई दर 9.1 फीसदी पर जा पहुंची थी तब से लगातार अमेरिका में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिला है. अमेरिका में महंगाई दर भले ही घटकर 6.4 फीसदी पर आ गई हो लेकिन ये फेडरल रिजर्व के 2 फीसदी के लक्ष्य से तीन गुना ज्यादा है.  बहरहाल अमेरिका में जनवरी महीने में रोजगार के मोर्चे पर मजबूत आंकड़े सामने आए हैं. जनवरी महीने में 5,17,000 नए जॉब्स जोड़े हैं तो बेरोजगारी दर घटकर 3.4 फीसदी पर आ गई है जो 53 वर्ष में सबसे कम है. 

अमेरिका में उच्च महंगाई दर के चलते वहां अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व लगातार कर्ज महंगा करता जा रहा था. जिसके चलते अमेरिकी समेत दुनियाभर के शेयर बाजार में निवेशक बिकवाली करते रहे हैं. और इन देशों से निवेश को निकाल कर रहे हैं. 

हालांकि महंगाई दर में गिरावट के बावजूद अमेरिका में महंगे कर्ज से राहत मिलने के आसार नहीं हैं. एक फरवरी को फेड रिजर्व एक चौथाई फीसदी ब्याज दरें बढ़ा चुका है और आने वाले दिनों में ये सिलसिला जारी रहने वाला है. अमेरिका में महंगाई दर 40 साल के उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा था जिसके बाद से लगातार सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व कर्ज महंगा करता जा रहा है. हालांकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महंगाई पर नकले कसने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला जारी रखता है तो इस वर्ष अमेरिका को आंशिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है. फेडरल रिजर्व महंगे कर्ज के जरिए लोगों के खरीदने की क्षमता को कम करना चाहता है जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके. क्योंकि सस्ते कर्ज के चलते लोग धरल्ले से महंगी चीजों की शॉपिंग के साथ घर और कार की खरीदारी कर रहे हैं.  

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