- October 30, 2023
प्रदूषण बन रहा है मौत की वजह, दमघोंटू हवा से भारत को कब मिलेगी निजात?
<p style="text-align: justify;">कुछ समय से दिवाली पर व्हाट्सएप पर एक मैसेज काफी वायरल होता है, "कब तक जिंदगी काटोगे, सिगरेट-बीड़ी और सिगार में, कुछ दिन तो काटो दिल्ली-एनसीआर में…". दरअसल ये सिर्फ व्हाट्सएप मैसेज न होकर एक सच भी है. कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि दिल्ली की हवा में सांस लेना रोज 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर है.</p>
<p style="text-align: justify;">दुनियाभर में प्रदूषण के चलते लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. न सिर्फ लोगों को होने वाली तमाम बीमारियों की वजह बन रहा है बल्कि प्रदूषण के चलते लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है. </p>
<p style="text-align: justify;">द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की साल 2019 में आई रिपोर्ट की मानें तो दुनियाभर में 2019 में 90 लाख लोगों की मौत प्रदूषण के चलते हुई थी. जिनमें से 66 लाख 70 हजार मौतें सिर्फ वायु प्रदूषण के चलते दर्ज की गई थीं. वहीं तमाम तरह के प्रदूषण से सिर्फ भारत में ही मरने वालों का आंकड़ा 23.5 लाख था जो दुनिया में सबसे अधिक है. प्रदूषण के मामले में देश में सबसे ज्यादा खराब हालात दिल्ली में हैं. जहां सर्दियों की शुरुआत से पहले ही एक्यूआई सबसे खराब स्थिति में है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कितनी खतरनाक है स्थिति?</strong><br />विश्व में प्रदूषण से हालात बेहद गंभीर होते जा रहे हैं. पिछले वर्ष द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ द्वारा जारी की गई प्रदूषण और स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार 2019 में भारत में 16.7 लाख लोगों की मौतों के लिए प्रदूषण जिम्मेदार था जो कुल मौतों के 17.8 प्रतिशत है. </p>
<p style="text-align: justify;">भारत में वायु प्रदूषण की स्थिति बहुत गंभीर है. इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण के चलते 16.7 लाख मौतों में से अधिकांश लगभग 9.8 लाख मौतें PM2.5 प्रदूषण के कारण हुई थीं. इसके अलावा 6.1 लाख मौतें सिर्फ उनके आसपास के वातावरण के चलते हुईं.</p>
<p style="text-align: justify;">वहीं दुनियाभर में प्रदूषण की स्थिति पर नजर डालें तो दुनिया में 66.7 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हो चुकी हैं. वहीं हर तरह के प्रदूषण के चलते मरने वालों की संख्या 90 लाख है. ऐसे में 45 लाख लोगों की मौत के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार था. वहीं 17 लाख मौतें खतरनाक रासायनिक प्रदूषण की वजह से हुई हैं, जिसमें 9 लाख मौतें सिर्फ लेड के चलते होने वाले प्रदूषण के चलते हुई हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">बता दें दुनिया में हर साल लेड प्रदूषण से लगभग 9 लाख लोगों की मौत होती है. पहले लेड प्रदूषण का स्त्रोत सिर्फ पेट्रोल हुआ करता था जिसे लेड रहित पेट्रोल कर दिया गया लेकिन बाद में लेड-एसिड बैटरी और प्रदूषण नियंत्रण के बिना ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग, लेड-दूषित मसाले, लेड लवण के साथ मिट्टी के बर्तन एवं पेंट से भी लेड प्रदूषण होना पाया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>प्रदूषण के चलते हो रहीं ये बीमारियां</strong><br />दुनियाभर में बढ़ता प्रदूषण लोगों में बीमारियों का कारण भी बन रहा है. जिसके चलते लोगों को इस तरह की बीमारियां हो रही हैं. प्रदूषण के चलते दिन व दिन लोगों में फेफड़ों का कैंसर का खतरा बढ़ रहा है. जैसा कि देखा जा रहा है कि हार्ट अटैक से होने वाली मौतें हर दिन बढ़ रही हैं उसमें एक वजह प्रदूषण भी है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके अलावा COPD का भी खतरा बढ़ रहा है. इस बीमारी में लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है जो कई लोगों की मौत का कारण बन जाती है. वायु प्रदूषण के चलते लोगों में निमोनिया का खतरा भी बढ़ रहा है जिसके चलते व्यक्ति के एक या दोनों फेफड़ो में सूजन आ जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके अलावा प्रदूषण के चलते लोगों में स्किन संबंधी समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं. प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में अस्थमा भी शामिल है. वहीं इसके चलते अस्थमा रोगियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रदूषण बच्चों में होने वाली रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का भी कारण है. ये बच्चों में होने वाली बीमारी है जिसके चलते सांस लेने में दिक्कत होती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या है प्रदूषण की वजह?</strong><br />देश में बढ़ता परिवहन, औद्योगिक बिजली संयंत्र, ग्रीन स्पेस डायनामिक्स और देश में अनियोजित शहरीकरण के चलते वायु प्रदूषण में दिन दोगुनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है.इसके अलावा किसानों के पराली का जलाया जाना भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है. किसान सरकारी कर्मचारियों से छुपकर पराली जला देते हैं जिसके चलते उससे उठने वाला धुआं वायु में घुल जाता है और वो प्रदूषण का कारण बनता है. कचरे को खुले में जलाना भी प्रदूषण का बड़ा कारण है जिसके चलते वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट?</strong><br />डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि प्रदूषित हवा में सूक्ष्म कणों के संपर्क में आने से हर साल दुनिया भर में लगभग 7 मिलियन लोग मर जाते हैं, जो स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, निमोनिया सहित श्वास संक्रमण जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड शामिल हैं. परिवेशीय (बाहरी) और घरेलू (घर के अंदर) वायु प्रदूषण दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं.<br /> <br />साल 2016 में भारत में स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और पुराने श्वसन रोगों के कारण अनुमानित 1,795,181 मौतों के लिए बाहरी वायु प्रदूषण जिम्मेदार था. जिसमें प्रमुख कारण तंबाकू का धुआं और खराब और टपकते खाना पकाने वाले स्टोव के साथ ठोस ईंधन से निकलने वाला वाला धुआं था.</p>
<p style="text-align: justify;">इसके अलावा IQAir द्वारा जारी 5वीं वार्षिक विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट से भारत की वायु गुणवत्ता की बेहद खराब स्थिति का साफ पता चलता है. भारत सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक वाले देशों की सूची में 8वें नंबर पर है और मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 12 शहर भारत के शामिल हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">रिपोर्ट में शामिल भारत के लगभग 60 प्रतिशत शहरों में वार्षिक PM2.5 का स्तर WHO के दिशा निर्देशों से कम से कम सात गुना ज्यादा दर्ज किया गया है. जो 2022 में औसत PM2.5 स्तर 53.3 pg/m3 था. राजस्थान में भिवाड़ी 92.7 के खतरनाक पीएम स्तर के साथ भारत का सबसे प्रदूषित शहर पाया गया था और दिल्ली 92.6 पीएम स्तर के साथ दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी रहा था.</p>
<p style="text-align: justify;"> वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पहले से ही कमजोर आबादी जैसे बाहरी मजदूरों, महिलाओं, बच्चों, वृद्धों और अन्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों पर पड़ता है. प्रदूषण से संबंधित 89% से अधिक असामयिक मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">इस रिपोर्ट में दुनिया भर में हर साल 93 अरब बीमार लोगों और छह मिलियन से अधिक लोगों की मौत का कारण खराब वायु गुणवत्ता को बताया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में वायु प्रदूषण हर साल 1.2 मिलियन से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है. वहीं इस रिपोर्ट के अनुसार भारत को प्रदूषण के चलते हर साल 150 मिलियन डॉलर का नुकसान होता है. ये विशेष रूप से चिंताजनक है जब भारत की विशाल कमजोर आबादी को ध्यान में रखने पर विचार किया जा रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>भारत सरकार क्या कर रही पहल?</strong></p>
<ul style="text-align: justify;">
<li style="text-align: justify;">ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (दिल्ली) </li>
<li style="text-align: justify;">प्रदूषण भुगतान सिद्धांत</li>
<li style="text-align: justify;">स्मॉग टॉवर</li>
<li style="text-align: justify;">सबसे ऊंचा वायु शोधक</li>
<li style="text-align: justify;">राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP)</li>
<li style="text-align: justify;">बीएस-VI वाहन</li>
<li style="text-align: justify;">वायु गुणवत्ता प्रबंधन हेतु नवीन आयोग</li>
<li style="text-align: justify;">टर्बो हैप्पी सीडर (THS)</li>
<li style="text-align: justify;">‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर (SAFAR) पोर्टल</li>
<li style="text-align: justify;">वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिये डैशबोर्ड</li>
<li style="text-align: justify;">वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI)</li>
<li style="text-align: justify;">वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981</li>
<li style="text-align: justify;">प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)</li>
</ul>
<p style="text-align: justify;"><strong>नाकाम हो रहे निपटने के उपाय</strong><br />वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली और इसके आसपास के शहरों के अलावा देश के तमाम महानगरों में हालात काफी खराब बताई जाती है. मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे तटीय महानगरों में भी वायु प्रदूषण काफी खराब स्थिति में है. वो भी तब जब वहां अच्छी वायु गति के कारण कम प्रदूषण की उम्मीद की जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">फिलहाल देश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में 6 उत्तर प्रदेश के हैं. इसके अलावा उत्तर भारत में फतेहाबाद, हिसार, ज़ींद, कोरिया, कोरबा, सिंगरौली, पटना, जमशेदपुर, कानपुर और लखनऊ उन शहरों में शामिल हैं जो बहुत वायु की बेहद खराब गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">दिल्ली में खराब हवा को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच सियासी तकरार भी काफी तेज होती रही है, हालांकि ये कहना भी गलत होगा कि पिछले कुछ सालों में दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ नहीं किया गया. उदाहरण के तौर पर देखें तो दिल्ली में फिलहाल कोई बड़ा उद्योग नहीं है. इसके अलावा अधिकतम पब्लिक ट्रांसपोर्ट और छोटे व्यावसायिक वाहन नेचुरल गैस पर चलाने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा दिल्ली के सभी कोयला बिजलीघर बन्द कर दिये गये हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">कोयला, पेट कोक और प्रदूषण फैलाने वाले फर्नेस ऑइल पर भी पाबंदी लगा दी गई है और पेट्रोल पंपों में बीएस -6 ईंधन देने की अनुमति है. ट्रकों के शहर में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है और जो शहर में प्रवेश करते हैं उन्हें पर्यावरण सेस देना पड़ता है. हालांकि ये सभी उपाय भी दिल्ली में प्रदूषण को कम करने में नाकाम साबित हो रहे हैं. हर दिन एक्यूआई का नया रिकॉर्ड सरकार और आम आदमी दोनों की चिंता बढ़ा रहा है.</p>
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