• June 21, 2024

इस बार तो मिल गया वोट, क्या हाई कोर्ट का फैसला 2025 में सीएम नीतीश को पड़ेगा भारी

इस बार तो मिल गया वोट, क्या हाई कोर्ट का फैसला 2025 में सीएम नीतीश को पड़ेगा भारी
Share

Bihar Reservation: बिहार में हुई जातिगत जनगणना और फिर 65 फीसदी आरक्षण के फैसले ने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू को बिहार में लोकसभा में सबसे बड़ा बना दिया. हालांकि अब पटना हाई कोर्ट ने नीतीश कुमार के 65 फीसदी आरक्षण को खत्म करने का जो फैसला दिया है, उससे नीतीश कुमार को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगना तय है. ये भी तय है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए हाई कोर्ट का ये फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बहुत भारी पड़ने वाला है. 

बीजेपी ने किया था जातिगत जनगणना का विरोध

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब एनडीए के साथ न होकर महागठबंधन के साथ थे, तो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री थे. दोनों ने मिलकर तय किया कि बिहार में जातिगत जनगणना होगी. बीजेपी ने इसका विरोध किया. मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन जीत नीतीश-तेजस्वी की हुई और जातिगत जनगणना हुई. उसके आंकड़े भी आए और उसे सार्वजनिक भी किया गया. तब पता चला कि बिहार राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख है.

इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग यानी कि ओबीसी का हिस्सा 27.13 फीसदी और अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी कि ईबीसी का हिस्सा 36 फीसदी है. यानी कि पिछड़ा वर्ग की कुल हिस्सेदारी 63 फीसदी से अधिक है. वहीं एससी और एसटी की हिस्सेदारी करीब 21 फीसदी और सामान्य वर्ग की हिस्सेदारी 15 फीसदी है.

सरकारी नौकरियों में बढ़ाया गया था आरक्षण

इन आंकड़ों के साथ ही एक और आंकड़ा भी सामने आया और ये आंकड़ा सरकारी नौकरियों का आंकड़ा था. इस आंकड़े ने साफ कर दिया कि बिहार में जितनी भी सरकारी नौकरियां हैं, उनमें 15 फीसदी वाले सामान्य वर्ग से सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 681 लोग सरकारी नौकरी में हैं. वहीं जिस पिछड़ा वर्ग का हिस्सा आबादी में 65 फीसदी का है, उनके पास 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं. यानी कि 51 फीसदी वाली आबादी के पास ज्यादा नौकरी और 65 फीसदी वाली आबादी के पास कम नौकरी है.

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और दांव खेला और तय किया कि अब बिहार में कुल आरक्षण 50 फीसदी नहीं, बल्कि 65 फीसदी होगा. नीतीश कुमार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाया कि अभी तक बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा को मिलाकर जो आरक्षण 30 फीसदी था, उसे 43 फीसदी किया जाएगा. अनुसूचित जाति को जो 16 फीसदी का आरक्षण था उसे बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाएगा और अनुसूचित जनजाति को जो आरक्षण 1 फीसदी का था, उसे बढ़ाकर 2 फीसदी किया जाएगा. यानी कि कुल आरक्षण 65 फीसदी का हो जाएगा. बाकी 10 फीसदी का ईडब्ल्यूएस का आरक्षण तो रहेगा ही रहेगा. यानी कि बिहार में कुल आरक्षण 75 फीसदी का होगा. 21 नवंबर 2023 को इस फैसले का गजट नोटिफिकेशन भी हो गया.

आरक्षण मॉडल का फायदा नीतीश कुमार को हुआ

नीतीश कुमार के इस फैसले का विरोध हुआ और मामला पटना हाई कोर्ट पहुंचा. वहां पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की बेंच में सुनवाई शुरू हुई. गौरव कुमार और दूसरे याचिकाकर्ताओं की बातें सुनने के बाद पटना हाई कोर्ट ने 11 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया.

इस दौरान नीतीश कुमार ने अपने इस आरक्षण मॉडल के जरिए लोकसभा में खूब वोट बटोरे. पार्टी ने इतने बटोरे कि उनकी पार्टी बिहार में लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी हो गई और इतनी बड़ी हो गई कि अभी नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए नीतीश कुमार की बेतहाशा जरूरत है, लेकिन जब सब हो गया.

नीतीश कुमार को फायदा भी मिल गया. उनकी पार्टी को भी फायदा मिल गया. चुनावी नतीजे भी आ गए. नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री भी बन गए. नीतीश कुमार इस सरकार में शामिल भी हो गए तो 20 जून को पटना हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस की बेंच ने नीतीश कुमार के फैसले को रद्द कर दिया और अपने फैसले में पटना हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की बेंच ने उसी इंदिरा साहनी केस के फैसले को आधार बनाया, जो देश में आरक्षण के लिए एक नजीर है.

देश में आरक्षण की सीमा 50% से कम रहेगी- सुप्रीम कोर्ट

इंदिरा साहनी केस में सु्प्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि देश में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से कम ही रहेगी. तब सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया था कि 50 फीसदी से ज्यादा का आरक्षण संविधान के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन है. इसके अलावा महाराष्ट्र के मराठा आरक्षण को भी आधार बनाया गया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले को पलटते हुए मराठा आरक्षण रद्द कर दिया था.

इन दो केस के आधार पर बिहार सरकार के 65 फीसदी आरक्षण को भी खत्म कर दिया गया है और अब बिहार में वही पुराना 50 फीसदी का आरक्षण रहेगा. हां इसमें एक बात और है कि ईडब्ल्यूएस को मिलने वाला 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इसपर अलग से फैसला दे चुका है.

पटना हाई कोर्ट ने नीतीश कुमार का फैसला पलटा

ऐसे में सवाल है कि अब नीतीश कुमार का क्या होगा? क्योंकि नीतीश कुमार ने जब ये फैसला किया था तो आरजेडी उनके साथ थी. तेजस्वी यादव उनके साथ थे, लेकिन अब अदालत ने नीतीश का फैसला ही पलट दिया है. बाकी तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी तो विपक्ष में हैं हीं और ऐसे में बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं.

जातिगत जनगणना के आए आंकड़ों ने बिहार में हर तबके को अपनी सियासी ताकत का एहसास भी करवा दिया है. ऐसे में हाई कोर्ट का ये फैसला नीतीश कुमार की सियासत के लिए बेहद भारी पड़ने वाला है. हां अपनी सियासी जमीन को बचाने के लिए हर कदम फूंक-फूंक कर रखने वाले नीतीश कुमार फिर कोई नया दांव लेकर आते हैं, तब उसपर अलग से बात की जाएगी.

ये भी पढ़ें :  NEET UG 2024: ‘मैं लेता हूं नैतिक जिम्मेदारी,’ NEET पेपर लीक पर मची रार तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही ये बात



Source


Share

Related post

Bihar’s Move To Hike Reservation From 50 To 65% Struck Down By High Court

Bihar’s Move To Hike Reservation From 50 To…

Share The Nitish Kumar government issued a gazette notification for higher quota last year New Delhi: In a…
रद्द हो NEET परीक्षा, गड़बड़ी के आरोपों की जांच करे SIT, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

रद्द हो NEET परीक्षा, गड़बड़ी के आरोपों की…

Share NEET UG 2024: NEET परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका…
‘डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां क्यों लिखते हैं’, SC का IMA से सवाल

‘डॉक्टर खास ब्रांड की महंगी दवाइयां क्यों लिखते…

Share Supreme Court:  पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल…